गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण एक साथ! ज्योतिषियों ने बताया किस राशि के सबसे घातक है ये योग

REPORT – KASHINATH SHUKLA.

भारत में 16 जुलाई यानी गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगता नजर आएगा। धर्म की नगरी काशी में चंद्र ग्रहण को लेकर ज्योतिषियों ने कई तरह से पंचांग और गुणा भाग करके कई तरह के विचार-विमर्श के बाद लोगों के लिए फल स्वरुप कार्य करने के तरीके खोजे हैं।

ज्योतिषियों का कहना है। यह ग्रहण लोगों के लिए लाभदायक भी सिद्ध हो रहा है लेकिन कई राशियों के लिए यह दुष्प्रभाव लेकर आ रहा है। हर तरह से गुणा भाग करने के बाद काशी के विद्वान इस नतीजे पर पहुंचते हुए नजर आ रहे हैं कि चंद्र ग्रहण के समय लोगों को खानपान और बाहर निकलने से रोका जाए और इसके साथ ही कई और तरह के पूजा पाठ के तरीके भी धर्म की नगरी से उजागर किए गए हैं, जिनको अपनाकर लोग चंद्र ग्रहण के दौरान न सिर्फ पूर्ण रूप से फल पा सकेंगे बल्कि किसी भी तरह के दुष्प्रभाव से दूर रह सकेंगे।

 

 

काशी हिन्दू विश्विद्यालय के ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो विनय कुमार पांडेय ने बताया कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की जो पूर्णिमा है उस दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है जो पूरे देश में दृश्य होगा यह चंद्र ग्रहण अंग्रेजी तिथि के अनुसार शोला और 17 की मध्यरात्रि में लगेगा ग्रहण 1:31 से लेकर 4:30 तक रहेगा 2 घंटे 59 मिनट का यह चंद्र ग्रहण भारत में रहेगा। यह ग्रहण खंड ग्रहण की कोटि में आता है। जिसमें धर्म शास्त्र के अनुसार 9 घंटे पहले से ही भोजन और जल ग्रहण करने को मना किया जाता है।

ज्योतिष के हिसाब से 4:30 बजे के बाद सामान्य लोगों को भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए और हो सके तो ग्रहण के स्पर्श काल मध्य में और मोक्ष में स्नान भी करना चाहिए और सनातन परंपरा के अनुसार ओम का जप और स्नान जरूर करना चाहिए। ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष का कहना है कि ग्रहण मैं अगर एक मुट्ठी चावल भी दान किया जाए तो वह भूमि दान के समान माना जाता है और उसी समान फल मिलता है अगर गंगा स्नान नहीं हो सकता है तो घर में भी स्नान करने से उतना ही फल मिलेगा और

 

ग्रहण के दौरान एक बार भी भगवान का नाम लेने से जप के बराबर फल मिलता है। प्रो विनय कुमार पाण्डेय कहना है कि यह ग्रहण धनु राशि पर लग रहा है। और इस राशि से शुरू होकर अग्रिम क्रम में बाकी राशियों पर लगेगा। अगर बाकी राशियों की बात की जाए तो 16 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण  धनु राशि के लिए घातक हैं। मकर राशि के लिए हानि और कुम्भ के लिए लाभ लाएगा।

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