
हिन्दू धर्म में नवरात्रों का विशेष महत्व है. वहीं तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्र बेहद लाभकारी है. 18 जनवरी से गुप्त नवरात्र की शुरू हो गए हैं. कल माघ माह की गुप्त नवरात्र की तृतीया तिथि पर विशेष योग बन रहा है. इस योग में शारीरिक और मानसिक रूप से किसी को सम्मोहित करने के लिए शुभ रहेगा.

गुप्त नवरात्र की तृतीया तिथि पर शनिवार तथा राहू का नक्षत्र शतभिषा होने के कारण व्यतिपात और वारियण नामक योग बन रहा है. व्यतिपात योग स्वार्थ की सिद्धियों के लिए और वरियण योग लालसा और दूसरे जातक को शारिरिक और मानसिक रूप से किसी को सम्मोहित करने के लिए शुभ रहेगा.
इन दोनों योगों में सम्मोहन, वशीकरण जैसा अभिचार कर्म करना श्रेष्ठ रहता है. इसी दिन दोपहर को 2 बजकर 10 मिनट के बाद शनि की बहन भद्रा भी रहेगी. भद्रा अभिचार कर्म के लिए खास फलदाई मानी जाती है.
तृतिया तिथि होने के कारण चन्द्रघण्टा और देवी काली दोनों का पूजन किया जाएगा.
काली और चन्द्रघण्टा के खास पूजन से लव मैरिज में सफलता मिलती है.कामसुख में बढ़ोतरी होती है.
किसी व्यक्ति को सम्मोहित करने में सफलता मिलती है.
ऐसे करें पूजा
घर की पश्चिम दिशा में काले वस्त्र पर उड़द की ढेरी बनाकर महाकाली का चित्र स्थापित कर उसका विधान पूर्वक पूजन करें.
सरसों के तेल में इत्र मिलाकर दीपक कर लोबान की धूप करें.
नीला गुलाल चढ़ाएं, कस्तूरी का इत्र अर्पित करें.
काले धागे में 7 नींबू पिरोकर महाकाली पर माला अर्पित करें तथा गुड़ और तिल से बनी हुई रेवड़ियों का भोग लगाएं.
लाल कंबल के आसन पर बैठकर काले हकीक की माला से ॐ मदनसुन्दर्यै नमः॥ मंत्र का जाप करें.





