गंगूबाई काठियावाड़ी : जानिए कौन हैं गंगूबाई, क्या है इस फिल्म से जुड़ी असली कहानी

सोशल मीडिया से लेकर यू ट्यूब तक गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म की चर्चा है। फिल्म के ट्रेलर में आलिया भट्टा का जबरदस्त लुक दिख रहा है। डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की जमकर तारीफ हो रही है। फिल्म के डायलॉग ‘गंगूबाई ने सोना चांदी ही नहीं, इज्जत भी कमाई है’ और ‘गंगू चांद थी और चांद ही रहेगी’ का जबरदस्त क्रेज दिख रहा है। लोगों के जहन में यह सवाल घर कर गया है कि गंगूबाई कौन थी और उन पर फिल्म बनाने की जरूरत क्यों हुई? आइए जानते हैं इन सवालों का क्या जवाब है।

गुजरात की रहने वाली गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास था। गंगा का जन्म गुजरात के परिवार में हुआ था। उन्हें बचपन में काफी प्यार मिला और वह बड़ी होकर फिल्मों में काम करना चाहती थी। कॉलेज कि दिनों में उनकी उम्र जब सिर्फ 16 साल की थी तो उन्हें रमनिक लाल से प्यार हो गया। यह और कोई नहीं बल्कि उनके पिता के बिजनेस में नौकरी करता ता। परिवार वाले इस प्यार के खिलाफ थे।

घर से भागकर दोनों मुंबई आ गये और उन्होंने शादी कर ली। गंगा को लगा कि वह अब अपने प्रेमी के साथ मुंबई में रहेगी और अपना बचपन का अभिनेत्री बनने का सपना पूरा करेगी। लेकिन रमनिक धोखेबाज निकला और उसने उसे महज 500 रुपये में वेश्या के हाथों बेच दिया। इसके बाद गंगा मजबूर हो गयी। घर से भागने के कारण उसके परिवार की काफी बेइज्जती हो चुकी थी। अगर वह वापस घर जाती तो सभी को पता चल जाता कि गंगा वेश्यालय से वापस लौट कर आई है। इससे उसके परिवार की इज्जत लोगों की नजर में और भी गिर जाती। इसी कारण गंगा ने हालातों से समझौता कर लिया और वह गंगूबाई बनकर वेश्या की जिंदगी गुजारने लगीं।

आपको बता दें कि उस समय मुंबई में डॉन करीम लाला का राज चलता था और इसी डॉन के एक गुंडे शौकत खान ने गंगू को नोंच खरोंच कर रेप किया था। जिसकी शिकायत लेकर गंगू करीम लाला के पास पहुंच गयी। करीम ने पूरी कहानी सुनते हुए कहा कि जब अगली बार वह आए तो मुझे सूचित करना तुम्हें न्याय अवश्य मिलेगा। यह पहली बार था जब घर से बाहर निकलने के बाद किसी मर्द ने नोंचने खरोंचने के बजाय गंगू की मदद की। इसलिए गंगू ने करीम को राखी बांधी और बोली आज से आप मेरे भाई हैं। कुछ दिन बाद जब शौकत खान फिर गंगूबाई के कोठे पर आया तो करीम ने उसे दबोच खूब पिटाई की और खुलेआम गंगूबाई को मुंहबोली बहन बना लिया। जिसके बाद गंगूबाई का सिक्का चलने लगा। इस प्रकरण के बाद बड़े से बड़ा गैंगस्टर, माफिया या डॉन भी बिना गंगूबाई की इजाजत के उस वेश्यालय में कदम नहीं रख सकता था।

कहा जाता है कि वेश्यालय में गंगूबाई ने सिर्फ सेक्स वर्करों के कल्याण के लिए काम किया। जो सेक्स वर्कर वेश्यालय छोड़कर जाना चाहती थी उसे गंगूबाई मदद करती थी। उसे जबरन वेश्यालय में रोकने या रहने के लिए मजबूर नहीं किया जाता था। उन्होंने कई अनाथ बच्चों को गोद लिया और उन्हें पढ़ाया लिखाया।

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