ज्येष्ठ गंगा दशहरा के अवसर पर 5 जून 2025 को उत्तर प्रदेश के विभिन्न गंगा घाटों पर 12 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने की उम्मीद है। बुधवार शाम तक पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु गंगानगरी ब्रजघाट में पहुंच चुके थे, जिससे वहां चहल-पहल बढ़ गई। हर-हर गंगे के जयकारों के साथ श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए उमड़ रहे हैं। प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े इंतजाम किए हैं।

प्रशासनिक व्यवस्थाएं और सुरक्षा इंतजाम
पुलिस, प्रशासन और नगर पालिका के अधिकारी ब्रजघाट में व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। घाटों पर साफ-सफाई, चेंजिंग रूम, चिकित्सा सुविधाएं, गोताखोर और CCTV कैमरे लगाए गए हैं। बुधवार को भी कई श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान, बच्चों का मुंडन, गंगा पूजन और हवन किया। महिलाओं और बच्चों ने मेले में खरीदारी भी की। बुलंदशहर में जिलाधिकारी श्रुति ने श्रद्धालुओं से सावधानी बरतने की अपील की है। अनूपशहर, नरौरा, कर्णवास और रामघाट जैसे घाटों पर भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस, जल पुलिस और NDRF की तैनाती की गई है।
ट्रैफिक डायवर्जन प्लान
श्रद्धालुओं को जाम से बचाने के लिए बुलंदशहर और मुरादाबाद में ट्रैफिक डायवर्जन लागू किया गया है। बुलंदशहर में 4 जून रात 8 बजे से 5 जून रात 10 बजे तक अनूपशहर और स्याना रूट पर भारी वाहनों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। दिल्ली, गाजियाबाद, हापुड़ से अमरोहा और मुरादाबाद जाने वाले भारी वाहन सिकंदराबाद, भूड़ चौराहा, डीएवी फ्लाईओवर, और शिकारपुर तिराहा होते हुए गुन्नौर के रास्ते जाएंगे। मुरादाबाद में 3 से 5 जून तक दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर भारी वाहनों का संचालन बंद रहेगा, और छोटे वाहनों को भी जरूरत पड़ने पर डायवर्ट किया जाएगा।
गंगा अवतरण की पौराणिक कथा
पंडित मुनेंद्र शास्त्री के अनुसार, कपिल मुनि के श्राप से महाराजा सगर के साठ हजार पुत्र और उनके भाई अंशुमन भस्म हो गए थे। उनकी मुक्ति के लिए सगर के पुत्र अंशुमन और फिर उनके पुत्र दिलीप ने गंगा को पृथ्वी पर लाने की कोशिश की, लेकिन असफल रहे। दिलीप के पुत्र भागीरथ की कठोर तपस्या से ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और गंगा को पृथ्वी पर भेजने का वरदान दिया। गंगा के वेग को संभालने के लिए भागीरथ ने भगवान शिव की तपस्या की। शिव ने अपनी जटाओं में गंगा को समा लिया और फिर धीरे-धीरे पृथ्वी पर उतारा। गंगा कपिल मुनि के आश्रम पहुंची और सगर के पुत्रों को श्राप से मुक्त किया, जिसके बाद गंगा को भागीरथी भी कहा गया।
गंगा स्नान के दौरान सावधानियां
- जहां बैरिकेडिंग नहीं है, वहां स्नान न करें।
- बैरिकेडिंग पार करके गहरे पानी में न जाएं।
- गहरे पानी में फंसने पर तुरंत शोर मचाएं।
- परिजनों के साथ स्नान करें ताकि आपात स्थिति में मदद मिल सके।
- बच्चों को निगरानी में रखकर स्नान कराएं।
आध्यात्मिक महत्व
गंगा दशहरा, जिसे गंगावतरण भी कहा जाता है, मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का उत्सव है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान से दस प्रकार के पाप (विचार, वचन और कर्म से संबंधित) धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु गंगा आरती, दीपदान और दान-पुण्य करते हैं। इस दिन दस फूल, फल या पान के पत्तों का दान और दस डुबकी लेना शुभ माना जाता है।