क्लाशनिकोव असॉल्ट राइफल में देरी,लेकिन जवानों को है सख्त जरूरत

चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों की सीमा पर तनाव के दौरान भारतीय सैनिकों को नई राइफल की जरूरत है, लेकिन ऐसे वक्त पर भी क्लाशनिकोव असॉल्ट राइफल का प्रोजेक्ट टल सकता है।रक्षा मंत्रालय की ओर से बनाई गई पांच सदस्यीय कीमत कमेटी ने यह सुझाव रखा है कि 7.6239 एमएम कैलिबर की एके-203 के उचित दाम लिए जाएं।

यह कमेटी भारत-रूस के साझा व्यापार की ओर से बनाई जा रही 6.71 लाख एके-203 के दाम पर चर्चा को लेकर बनाई गई थी। ये राइफल उत्तर प्रदेश के अमेठी में कोरवा आयुध कारखाने में बनाई जानी है और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के दौरे के दौरान रूस के उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव और रक्षा मंत्री सर्जी सोउगू के साथ इस बारे में बात हुई थी |

रक्षा मंत्रालय की ओर से बनाई गई पांच सदस्यीय लागत कमेटी ने यह सुझाव रखा है कि 7.6239 एमएम कैलिबर की एके-203 के उचित दाम लिए जाएं। भारतीय ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी)और रूस की रोसोनबोरोन एक्सपोर्ट और क्लाशनिकोव कंपनी ने मिलकर एक साझा कंपनी बनाई है जिसका नाम है आईआरआरपीएल।

एके-203 प्रोजेक्ट की मांग लंबे समय से चली आ रही है, इससे लगभग 14 लाख सैनिकों की ताकत और बढ़ जाएगी।रक्षा मंत्रालय की ओर से बनाई गई पांच सदस्यीय लागत कमेटी ने यह सुझाव रखा है कि 7.62*39 एमएम कैलिबर की एके-203 के उचित दाम लिए जाएं। भारतीय ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी)और रूस की रोसोनबोरोन एक्सपोर्ट और क्लाशनिकोव कंपनी ने मिलकर एक कंपनी बनाई है जिसका नाम है IRRPL

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