आखिर किस मकसद से हुई ईरान के टॉप परमाणु वैज्ञानिक की हत्या? जानिए क्या है सुलेमानी और फखरीजादेह की मौत का राज

ईरान ने शुक्रवार को यह तय करने के लिए एक न्यायिक समिति का गठन किया कि सूलेमानी की हत्या के पीछे वास्तव में कौन था। रिवोल्यूशनरी गार्ड- कुदस के फोर्स कमांडर कासिम सुलेमानी की पिछली जनवरी में हत्या कर दी गई थी। इस फैसले के कुछ घंटों के अंदर तेहरान में ईरान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मोहसेन फखरीजादेह की हत्या कर दी गई। पश्चिम एशिया के जानकारों की राय में सुलेमानी और फखरीजादेह की हत्याओं के पीछे मकसद एक जैसा है।

कासिम सुलेमानी की हत्या पर किताब लिखने वाले पश्चिम एशिया मामलों के विशेषज्ञ आरियान तबाताबी के मुताबिक फखरीजादेह का ईरान के परमाणु कार्यक्रम के लिए वही महत्व था, जो सुलेमानी का ईरान के खुफिया नेटवर्क के लिए था। फखरीजादेह ने परमाणु कार्यक्रम का ढांचा और उसे चलाए रखने का तंत्र तैयार किया था। वैसे उन्होंने यह सुनिश्चित कर लिया था कि उनकी मृत्यु से ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कोई फर्क ना पड़े।
अब ईरान ने सुलेमानी की हत्या के मामले में न्यायिक कमेटी इसलिए बनाई है, क्योंकि इंटरपोल ने इस मामले में कोई कार्रवाई करने से इनकार कर दिया था। इंटरपोल ने कहा था कि वह ‘राजनीतिक और सैनिक’ मामलों की जांच नही करता। उसका काम आपराधिक दायरे तक सीमित है। अब ईरान ने जो न्यायिक कमेटी बनाई है, उसे सुलेमानी की हत्या के बारे में तमाम तथ्य इकट्ठे करने का काम सौंपा गया है, ताकि असल में किसने हत्या की, यह पता चल सके। उसके बाद मुमकिन है कि ईरान सबूतों के साथ इस मामले को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के पास ले जाएगा।

इसी बीच अब ईरान को फखरीजादेह की हत्या से पैदा हुए हालात से निपटना होगा। डेनवर स्थित सेंटर फॉर मिडल-ईस्ट स्टडीज के निदेशक नादर हाशमी के मुताबिक फखरीजादेह की हत्या एक तयशुदा पैटर्न के मुताबिक है। इस पैटर्न का मकसद रहा है कि ईरान को झुकाना या फिर वहां सत्ता परिवर्तन। हाशमी ने कहा कि फखरीजादेह की हत्या सुलेमानी की हत्या के नक्शेकदम पर की गई है। सुलेमानी इसस साल 3 जनवरी को बगदाद के पास ड्रोन हमले में मारे गए थे।

खबरों के मुताबिक फखरीजादेह ईरान के अमद परमाणु संयंत्र के निर्माण को संचालित कर रहे थे। ईरान के पास परमाणु बम बनाने की क्षमता रहे, इसके लिए इस प्लांट को बनाया जा रहा है। अमद प्लांट पर काम 2003 में रोक दिया गया था। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मुताबिक उसके पहले यह स्थान वैज्ञानिकों के मिलने-जुलने और अनुभव साझा करने का केंद्र था। अब यहां फिर गतिविधियों के संकेत मिल रहे थे।

अगर ईरान चाहे, तो अभी भी वह परमाणु बम बना लेने में सक्षम है। जेरानमायेह ने कहा कि बेशक फखरीजादेह की ईरान की परमाणु गतिविधियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन ईरान का परमाणु कार्यक्रम किसी एक व्यक्ति से बंधा हुआ नहीं है। जेरामायेह ने कहा कि यह ठीक वैसा ही है, जैसे सुलेमानी की हत्या से रिवोल्यूशनरी गार्ड कुदस की गतिविधियां ज्यादा प्रभावित नहीं हुईं।

जानकारी के अनुसार फखरीजादेह की हत्या के पीछे असल मकसद परमाणु कार्यक्रम को रोकना नहीं, बल्कि संभावित कूटनीति में बाधा डालना है। इन जानकारों के मुताबिक अब तक तमाम भड़ाकाऊ कार्रवाइयों के बावजूद ईरान ने संयम का परिचय दिया है। इसलिए असल सवाल यह है कि क्या अब भी वह ऐसा करेगा? अगर उसने जवाबी कार्रवाई की, तो बेशक जो बाइडन प्रशासन के लिए कूटनीति के रास्ते पर आगे बढ़ना और परमाणु समझौते में फिर से अमेरिका को शामिल करना कठिन हो जाएगा। 2015 में हुए इस समझौते से ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका को हटा लिया था। निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने इसमें अमेरिका को वापस लाने का वादा कर रखा है।

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