क्यों नीला है भगवान श्री कृष्ण का रंग, इसके पीछे है बेहद खास कारण…

भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। समय समय पर पाप का विनाश करने के लिए वह धरती पर अवतरित हुए थे। भगवान कृष्ण के लीलाओं की कोई सीमा नहीं है। उनके बारे में जितना भी जानेंगे उतनी ही आपकी रूचि बढ़ती जाएगी।

जब भी हम भगवान कृष्ण की कोई प्रतिमा या किसी चित्र को देखते हैं तो हमें यही देखने को मिलता है कि हर जगह उन्हें नीले रंग में ही दर्शाया गया है।

भगवान श्री कृष्ण का रंग

अब सवाल यह आता है कि इस नीले रंग का रहस्य क्या है? क्यों उनके देह का रंग नीला है? आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर भगवान कृष्ण या विष्णु का रंग नीला क्यों है?

सबसे पहले तो बता दें कि कृष्ण के इस नीले रंग के पीछे कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं जिनमें से एक के अनुसार विष्णु जी का संबंध पानी से है इसलिए उनके जितने भी अवतार हैं उनमें से लगभग सभी का रंग नीला है।

जल से जब हम विष्णु जी के नीले रंग की तुलना करते हैं तो हमें जीवन के प्रति एक ओर नजरिया मिलता है और वह ये कि जिस तरह पानी हर एक चीज को खुद में घोलकर भी अपना अस्तित्व बचाए रखता है।

एक अन्य पौराणिक कथा में इस बात का जिक्र किया गया है कि भगवान विष्णु ने देवकी के गर्भ में दो बाल रोपे थे, इनमें से एक का रंग काला और दूसरे का रंग सफेद था।

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चमत्कारिक तरीके से दोनों ही बाल रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित हो गए और काले रंग के बाल से श्याम वर्ण के कृष्ण का जन्म हुआ और सफेद बाल से बलराम पैदा हुए।

इस नीले रंग के पीछे एक और मान्यता है और वह ये कि प्रकृति की अधिकतर रचनाओं का रंग नीला है जैसे समुदर या नदी का पानी, आसमान, ऐसे में जिस महापुरूष के अंदर इन कृतियों के समान गुण यानि कि जिनमें धैर्य, साहस, समर्पण जैसी भावनाएं हैं उन्हें नीले रंग में दर्शाया जाता है।

भगवान कृष्ण के भीतर ये सभी गुण मौजूद हैं और इसी के चलते उन्हें नीले रंग से दर्शाया जाता है।

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