Report-Pradeep Yadav/Kushinagar
लोक आस्था का महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान आज आखरी दिन सूर्य को अर्घ देकर पूरा हुआ. अपने पुत्रो की सलामती और परिवार के सुखो के लिए निराजल व्रत किये हुए महिलाये और श्रधालुओ का हुजूम आधी रात से ही घाट के तरफ निकला दिखा.
पूर्वांचल में स्थित कुशीनगर जिले में छठ महापर्व का अपना अलग ही महत्व है. इस महापर्व में छठी मइया के साथ भगवान सूर्यदेव की आराधना की गयी. कार्तिक माह की षष्ठी को डूबते हुए सूर्य से शुरू होकर यह पर्व सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य देने की के बाद समाप्त हुआ.
मन्नत के अनुशार लोग अपने घर कोशी का कार्यक्रम भी रखते है तो कही लोग नाचते गाते और झूमते दिक्ते है…. इस पर्व की मान्यता है की बिना डाला या बॉस के बने सूप पर अर्घ्य दिया जाता है. बिना इसके छठ पूजा पूरी नहीं होती.
अयोध्या में धूमधाम से संपन्न हुआ छठ पूजा का पर्व, सरयू तट पर लोगों ने दिया सूर्य को अर्घ
मान्यता के अनुशार शाम को अर्घ्य को गंगा जल के साथ देने के बाद सुबह के समय गाय के दूध से अर्घ दिया गया. छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव को लेकर आखरी दिन लोगो में खासा उत्साह देखने को मिला.
इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का कठिन निराजल व्रत रक्खी हुयी थी जो सफलता पूर्वक पूरा हुआ. छठ की संध्या अर्ध्य को लेकर जगह-जगह छठ गीत से पूरा वातावरण गुंजयमान रहा. शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में संध्या अर्ध्य को लेकर छठ घाटों पर भारी संख्या भीड़ रही.