कुवैत में हजारों भारतीय कामगारों को राहत, नहीं होगी सजा  

कुवैत। कुवैत सरकार ने अवैध तरीके से देश में रह रहे भारतीय मजदूरों को बड़ी राहत देने का फैसला किया है।  इस फैसले के तहत कुवैत सरकार ने 24 हजार से अधिक अवैध भारतीय मजदूरों वापस भेजने के लिए या नौकरी का वीजा बदलने के लिए गृह मंत्रालय में अपनी जानकारी दें तो वह उन्हें जेल की सजा या कोई और दंड नहीं देगी।

कुवैत सरकार

आब्रजन विभाग के प्रमुख मेजर जनरल तलाल इब्राहिम मराफी ने भारतीय संवाददाताओं से कहा, “हमलोग भारतीय कामगारों के प्रति उदार हैं लेकिन उनसे नियम-कानूनों को सख्ती से पालन करने को कहा है। आब्रजन विभाग उनके देशांतरण की प्रक्रिया में मदद करने को तैयार है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा भारत के साथ अच्छे और मजबूत रिश्ते को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। ”

कुवैत में करीब 10 लाख भारतीय कामगार हैं। वे देश के विकास में बहुत अधिक योगदान करते हैं।

मराफी ने कहा कि कामगारों के तय समय से अधिक रह जाने के बहुत सारे कारण हैं। अधिकांश मामलों में कामगार अपने प्रायोजकों को छोड़ देते हैं और आर्थिक लाभ के लिए दूसरी कंपनियों में काम करने लगते हैं। ऐसे भी मामले होते हैं जिनमें प्रायोजक विदेश में होते हैं और जब वीजा अवधि समाप्त हो जाती है तो उनकी यात्रा के दस्तावेज को वैध कराने के लिए मदद करने वाला कोई नहीं होता। कुछ प्रायोजक कामगारों के पासपोर्ट रख लेते हैं। इस तरह के कामगार आर्थिक लाभ और बेहतर नौकरी के लिए अपने अपने प्रायोजक को छोड़ देते हैं।

मराफी ने कहा कि सरकार अवैध कामगारों की मदद करके को इच्छुक है बशर्ते वे हमारे पास अपने बारे में जानकारी दें।

आब्रजन विभाग उनके देशांतरण के लिए जरूरी इंतजाम करेगा। कामगारों को दंड के रूप में एक छोटी राशि का भुगतान करना होता है। अधिकांश मामलों में यह छोड़ दिया जाता है। हालांकि मराफी ने स्पष्ट किया कि कामगारों में से कोई भी यदि गलत काम करते पकड़ा जाएगा तो उसे नहीं बख्शा जाएगा।

उन्होंने कहा कि 2018 अवैध भारतीय कामगारों को पहले ही बगैर किसी दंड के देश छोड़कर जाने में मदद की जा चुकी है।

कामगारों द्वारा बकाया भुगतान नहीं किए जा सकने की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि सरकार इस अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू को समझती है।

गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद अजामी ने कहा कि ऐसे हजारों मामलों को हल किया गया है। सरकार ने विदेशी कामगारों की मदद करने के लिए उनके बकाए का निपटारा करने के लए वकीलों की एक समिति भी गठित की है।

मराफी ने कहा कि भारतीय कामगारों की नियुक्ति पर जरा भी प्रभाव नहीं पड़ा है। इस वर्ष 50 हजार से अधिक भारतीय नियुक्त किए गए हैं।

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