अपनी मेहनत और लगन के बल पर कुटीर उद्योग कल्याण समिति का इस महिला ने किया गठन, पढ़ें पूरी बात
REPORT-BALWANT RAWAT
टिहरी। टिहरी जिले के चंबा ब्लाक के कुड़ियाल गांव की 45 वर्षीय ऊषा नकोटी एक बीपीएल श्रेणी की महिला है और करीब 13 वर्ष पूर्व पति के देहान्त के बाद वो अकेली पड़ गई और अपने ढ़ाई साल के बच्चे की परवरिश की चिन्ता उन्हें सताने लगी।
ससुराल और मायके वालों से मदद नहीं मिलने के बाद ऊषा ने खुद अपने पैरों पर खड़े होने की ठानी और बिना किसी मदद के 50 रूपये से स्वेटर,मफलर बुनना शुरू किया। एक कच्चे मकान में रहने वाली ऊषा की मेहनत और लगन धीरे धीरे रंग लाने लगी और उनके पास डिमांड बढ़ती गई । ऊषा ने धीरे धीरे शॉल,पंखी बनाने का भी आर्डर लेने लगी।
वर्ष 2002 से ऊषा ने अपने साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी जोड़ा और कुटीर उद्योग कल्याण समिति बनाई और ऋषिकेश – चंबा रोड पर एक दुकान किराये पर ली। धीरे धीर हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट का काम बढ़ने लगा और ऊषा ने दुकान के पीछे ही एक मशीन लगाई। अपने बनाए उत्पादों को उनकी समीति द्वारा देहरादून प्रदर्शनी में लगाया गया जहां से उन्हें एक नई पहचान मिली धीरे धीरे उनकी समीति को बड़े ऑर्डर मिलने लगे और लखनऊ दिल्ली में भी उनके उत्पादों की डिमांड बढ़ने लगी है। ऊषा के पास आज 2 से बढ़कर 10 मशीनें हो चुकी है।
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ऊषा अभी तक 250 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग दे चुकी है और उद्योग विभाग द्वारा उन्हें पुरस्कृत भी किया जा चुका है…ऊषा द्वारा ट्रेनिंग दी गई 50 से अधिक महिलाओं ने अब अपना खुद को रोजगार शुरू कर दिया है..ऊषा द्वारा बनाई गई समिति 2 माह में करीब डेढ़ से 2 लाख रूपये कमाती है जिससे वो अपने विभिन्न खर्चों सहित अपने साथियों में बांटती है..ऊषा का कहना है कि यदि सरकार उन्हें मदद करे तो वो पहाड़ में और महिलाओं को भी इससे जोड़कर कुटीर उद्योग को बढ़ावा देंगी।