रानी ने अपने पति की याद में कुआं बनवाया था, जो अब 100 के नोट पर आएगा नजर
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में 100 रुपए के नोट के नए डिजाइन जारी किए हैं। यह नोट लैवेंडर कलर के हैं। मगर रंग के अलावा इस नोट में एक और खास बात है। दरअसल, इस नोट में गुजरात की ऐतिहासिक इमारत ‘रानी की वाव’ की पिक्चर का यूज किया गया है। आपको बता दें कि वर्ष 2014 में यूनेस्को ने इस खूबसूरत वाव को वर्ल्ड हेरिटेज की लिस्ट में शामिल किया था।
वैसे इस खूबसूरत इमारत से जुड़ी कई और दिलचस्प बाते हैं, जो आपको एक बार यहां विजिट करने पर मजबूर कर देंगी। चलिए हम आपको बताते हैं कि जब आप ‘रानी की वाव’ देखने जाएं तो किन चीजों को पर ध्यान देना बिलकुल नहीं भूलें।
- ‘रानी की वाव’ देखने के लिए आपको गुजरात के पाटन जिले पहुंचना होगा। यहां आप रेल मार्ग या फिर सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकती हैं। इस वाव को 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव-प्रथम की पत्नी रानी उदयमती ने अपने पति की याद में बनवाया था। यह वाव सरस्वती नदी के तट पर बनाई गई है। जब आप यहां जाएं तो इससे पहले इस वाव के इतिहास के बारे में जरूर पढ़ लें, नहीं तो यह आपको केवल एक एतिहासिक इमारत ही लगेगी।
‘रानी की वाव’ एक बहुत बड़ा सीढ़ीनूमा कुआं है। अगर आप यहां जाए तो इसे केवल बाहर से देख कर वापिस न लौटें क्योंकि इस कुएं में सात मंजिलें हैं और पर्यटकों के लिए यह वाल 7वीं मंजिल तक खुली है।
आप जैसे-जैसे इस वाव में नीचे की ओर जाएंगी आपको लगेगा कि आप जमीन के नीचे मौजूद किसी खूबसूरत मंदिर में प्रवेश करती जा रही हैं। यहां बेहद खूबसूरत कलाकृतियां बनी हुई हैं। इस कलाकृतियों को करीब से जरूर देखें। इनमें आपको 11वीं शताब्दी की खूबसूरत झलक देखने को मिलेगी।
- इस वाव में पहुंच कर आप उस समय की पीने के पानी का प्रबंध करने की प्रणाली को समझ कर भी दंग रह जाएंगी। मगर इसके लिए जरूरी है कि आप एक स्थानिय गाइड कर लें। गाइड आपको वाव में मौजूद आकर्षक प्वॉइंट्स दिखाएगा। कुछ वक्त पहले यह वाव सरस्वती नदी में बाढ़ आने की वजह से कीचड़ और मिट्टी में धंस गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस जगह की खुदाई करनी शुरू की. खुदाई के बाद ये जगह पूरी तरह से आधुनिक दुनिया के सामने आई. आपको जानकर हैरानी होगी कि वाव में मौजूद कलाकृतियां अब तक बहुत ही अच्छी स्थिती में हैं।
- ‘रानी की वाव’ 64 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी और 27 मीटर गहरी है। इस वाव को मारू-गुर्जर शैली में बनाया गया है। इसका चौथा तल सब से गहरा है। इस वाव में 500 से भी ज्यादा बड़ी मुर्तियां और 1000 से भी ज्यादा छोटी मुर्तियां हैं। सभी मुर्तियां आज भी जस की तस हैं। इसमें भगवान विष्णु के दस अवतारों और अप्सराओं कलाकृतियां देखने को मिलती हैं। इतना ही नहीं यहां पर भारतीय स्त्री के परंपरागत सोलह श्रृंगार को भी मुर्तियों के जरिए दिखाया गया है। इसलिए आप यहां पर जब भी जाएं इन मुर्तियों पर गौर जरूर करें।
- कई पर्यटक वाव की आखिर तक नहीं जाते हैं। मगर इसके आखरी तल तक जरूर जाएं क्योंकि यहां पर आपको शेषनाग शैय्या पर लेटे हुए भगवान विष्णु की मूर्ति देखने को मिलती है।
- इस वाव के बारे में यह मान्यता है कि इस पानी से नहाने पर बीमारियां नहीं होती। इसका कारण यह माना जाता है कि इसके आस-पास आयुर्वेदिक पौधे लगे हुए हैं, जो औषधि का काम करते हैं।
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