किसी ने सही कहा है, सम्मान चाहिए तो पहले सम्मान देना सीखें

बहुत पुरानी बात है। एक व्यक्ति अक्सर धर्मग्रंथों का मजाक उड़ाया करता था। वह नास्तिक था। वह ईश्वर में विश्वास करने वालों का सम्मान नहीं करता था। वह उनसे वैचारिक बहस न करके, कुतर्कों के जरिए उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश करता था।

सम्मान चाहिए तो पहले सम्मान देना सीखें

एक दिन वह एक पादरी के पास पहुंचा। उसका मकसद पादरी को नीचा दिखाना था। उसने पादरी से पूछा, अगर मैं खजूर खाऊं तो क्या मुझे पाप लगेगा? पादरी ने सहजता से कहा-नहीं। उस व्यक्ति ने फिर पूछा और अगर मैं खजूर के साथ थोड़ा पानी मिला लूं तो क्या मुझे पाप लगेगा?

पादरी ने उसी तरह कहा इससे भी कोई अंतर नहीं पड़ेगा। उस व्यक्ति ने फिर अगला सवाल किया और महोदय, यदि मैं उस खजूर में पानी के साथ थोड़ा खमीर मिला लूं तो क्या यह धार्मिक दृष्टि से गलत होगा?

पादरी ने उसकी मंशा ताड़ ली पर उन्होंने बिना झुंझलाए कहा- बिल्कुल नहीं। उस पर उस व्यक्ति ने दलील दी- फिर धर्मग्रंथों में शराब पीना पाप क्यों बताया गया है, जबकि शराब इन्हीं तीनों से मिलकर बनती है।

पादरी ने इसका जवाब देने की बजाय उससे प्रश्न किय अगर मैं तुम पर मुट्ठी भर धूल फेंकू तो क्या तुम्हें चोट लगेगी। इस पर उस व्यक्ति ने कहा, नहीं।

पादरी ने कहा और अगर मैं धूल में थोड़ा पानी मिलाकर फेंकू तो क्या तुम्हें चोट लगेगी? उस व्यक्ति ने सिर हिलाकर कहा-नहीं।

पादरी ने मुस्कराते हुए फिर पूछा और अगर मैं उस मिट्टी और पानी में कुछ पत्थर मिलाकर तुम्हारे ऊपर फेंकू तो क्या होगा? चोट लगेगी कि नहीं।

यह सवाल सुनकर वह थोड़ा घबराया। उसने कुछ सोचकर कहा आप चोट लगने की बात कर रहे हैं, मेरा तो सिर ही फूट जाएगा। पादरी ने कहा मुझे विश्वास है कि तुम्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा। वह व्यक्ति शर्मिंदा हो गया। उसने अपने व्यवहार के लिए पादरी से क्षमा मांगी और आगे से उसने किसी व्यक्ति से ऐसी गलती नहीं करने का वचन दिया।

शिक्षा: जिंदगी में अगर आप किसी का अपमान करते हैं तो आप कभी सम्मान कभी नहीं पा सकते हैं। इसलिए छोटा व्यक्ति हो या बड़ा व्यक्ति सभी का सम्मान कीजिए।

LIVE TV