कावेरी जल विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने को कहा

कावेरी विवादनई दिल्ली| सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कावेरी जल विवाद पर तमिलनाडु और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया।

इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए 27 अक्टूबर तक प्रतिदिन छह हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया था। कावेरी निरीक्षण कमेटी ने पहले तीन हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश जारी किया था, जिससे आगे जाकर शीर्ष अदालत का यह निर्देश आया था।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने कर्नाटक को निर्देश देते हुए केंद्र सरकार को चार हफ्ते के अंदर कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन करने और इसके गठित हो जाने की अधिसूचना के साथ अदालत को रपट देने का निर्देश दिया था।

बहुत पुराना है विवाद

  1. 1924 में अंग्रेजों के समय में कावेरी जल विवाद की नींव पड़ी थी| तब इन दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ था| लेकिन बाद में केरल और पांडिचेरी के इसमें शामिल हो जाने से यह विवाद मुश्किल हो गया|
  2. 1972 में बनी एक कमेटी के तर्कों के आधार पर 1976 में कावेरी जल विवाद के सभी चार दावेदारों के बीच एक समझौता हुआ लेकिन विवाद जारी रहा|
  3. 1986 में तमिलनाडु ने अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम (1956) के तहत केंद्र सरकार से एक ट्रिब्यूनल बनाने की मांग की| 1990 में इसका भी गठन हो गया| फैसला हुआ कि कर्नाटक कावेरी जल का तय हिस्सा तमिलनाडु को देगा लेकिन विवाद अब भी ख़त्म नहीं हुआ|
  4. कर्नाटक ब्रिटिश शासन के दौरान 1924 में हुआ समझौता न्यायसंगत नहीं मानता| कर्नाटक का कहना है कि वह नदी के बहाव के रास्ते में पहले है, इसलिए उसका नदी पर पूर्ण अधिकार है| जबकि तमिलनाडु पुराने समझौतों को तर्कसंगत बताता है|
  5. तमाम असफल प्रयासों की बाद भी अब तक इस विवाद को सुलझाने की कोशिश ही चल रही है|
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