खुलासा : इस दिग्गज नेता ने किया देश का कबाड़ा, खोल दिए कालेधन केे रास्‍ते

नई दिल्‍ली। देश में चारोंं ओर कालेधन का मुद्दा सर चढ़कर बोल रहा है। हर सरकार और राजनीतिक दल अपने आपको कालाधन इकट्ठा करने वालों के खिलाफ बता रहे हैंं। साथ ही काले धन के खिलाफ व्‍यापक नीतियां भी बनाने का दम भर रहे हैंं।

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लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि भारत में कालाधन इंदिरा गांधी के काल में सबसे ज्यादा पैदा हुआ। ये बड़ा खुलासा किया है सुरजीत एस भल्ला ने जो कि न्यूयॉर्क स्थित मैक्रो इकोनॉमी सलाहकार समूह में सीनियर विश्लेषक हैंं।

उन्‍होंने बताया कि 1960 के बाद पूरे देश में टैक्स रेट को काफी बड़े पैमाने पर बढ़ा दिया गया था। टैक्स रेट के बढ़ने से ही कालाधन जमा होना शुरू हुआ क्योंकि लोगों ने ज्यादा टैक्स देने से बेहतर थोड़े पैसों की घूस देना समझा।

1966 में इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनीं। 1969 में उन्होंने बैंकों को राष्ट्रीयकृत कर दिया। फिर 1970-71 में उन्होंने ‘कर सुधार’ की शुरुआत की। जिसमें 11 तरीके के टैक्स रेट तय किए गए। जो कि 10 प्रतिशत से 85 प्रतिशत तक थे।

इसके अलावा 15 प्रतिशत का सरचार्ज भी था। जिससे टॉप टैक्स रेट 97.75 प्रतिशत तक पहुंच गया था। ऐसे में लोगों के पास टैक्स से बचने के लिए कर अधिकारियों को घूस देने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा था।

भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया 1960 के बाद से ही भ्रष्टाचार को झेल रही है। तब से ही कालेधन का कारोबार शुरू हुआ। देश के सभी लोगों को सही काम करवाने के लिए भी गलत तरीके से पैसे देने पड़ते हैं। पानी का कनेक्शन लेने की बात हो,  बिजली के कनेक्शन की बात हो या फिर कोई अन्‍य सरकारी काम, रिश्वत देनी ही पड़ती है।

इन सबको कम करने के लिए सरकारी या नौकरशाह कर्मचारी की पॉवर को कम करना चाहिए। अगर पीएम मोदी ने नौकरशाहों की ताकत को कम नहीं किया तो कुछ भी ठीक होना मुश्किल है।

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