काला जादू! अपनी पत्नी के मौत के महिला के भेष में रहता है ये शक्स वरना हो जाएगा…

REPORT- RAJ SAINI

जौनपुरः मौत भले ही शाश्‍वत सत्य है लेकिन इसका खौफ सभी को होता है। तभी तो जौनपुर में एक शख्स सुहाग की साड़ी, कान में झुमका, नाक में नथिया और हाथों में कंगन के साथ सोलहों श्रृंगार करके तीस वर्ष से जीवन जीने को मजबूर है। क्योकि उसका पूरा परिवार उसकी आंखों के सामने खत्म होता चला गया है। देखिए ये स्पेशल खबर ।

सोलहों श्रृंगार करके महिला के रूप दिख एक शख्स का नाम चिंता हरण है। चिंता हरण ने पूर्व आइपीएस डीके पांडा की तरह राधा बनने का शौक नहीं पाला है बल्कि अपनी मौत की चिंता है। विडंबना कहें या हकीकत, संयोग कहें या कुछ और कि परिवार के 12 लोगों को खोने वाले इस शख्स ने अब अपना रूप ही बदल लिया है। महिलाओं के लिबास में रहकर जीविकोपार्जन करने वाले इस श्रमिक की पीड़ा सुनकर हर कोई द्रवित हो जाता है।

जलालपुर क्षेत्र के हौज खास गांव निवासी 66 वर्षीय वृद्ध चिंताहरण चौहान उर्फ करिया की। इनकी जीवनगाथा किसी हारर फिल्म जैसी है। माता-पिता ने 14 साल की उम्र में ही उनकी शादी कर दी। विवाह के कुछ दिन बाद जीवन साथी ने साथ छोड़ दिया। इसके बाद जीविकोपार्जन के लिए 21 वर्ष की अवस्था में चिंताहरण ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए कोलकाता के पश्चिम दिनाजपुर चले गए। जहां इन्हें कई भट्टों के मजदूरों के भोजन के सामान की खरीदारी की जिम्मेदारी मिली। वहां एक बंगाली की राशन की दुकान से नियमित सामान खरीदते थे। धीरे-धीरे दुकानदार से घनिष्ठता बढ़ी और दुकानदार ने 25 वर्ष की अवस्था में चिंताहरण से अपनी पुत्री के विवाह का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बिना सोचे समझे बंगाली लड़की से विवाह रचा लिया। यही निर्णय उनके जी का जंजाल बन गया।

शादी की जानकारी जब चिंताहरण के परिवारवालों को हुई तो लोगों ने इसका विरोध किया। अपनों की नाराजगी से बचने के लिए वह बिना बताए बंगाली पत्नी को छोड़कर घर भाग आए। उधर, बंगाली परिवार को चिंताहरण के घर का कोई पता नहीं था। पति के धोखे को पत्नी बर्दाश्त नहीं कर सकी और व्यथित होकर आत्महत्या कर ली। एक वर्ष बाद गलती का एहसास होने पर चिंताहरण जब पुनः कोलकाता वापस गए तो उनको पता चला कि पत्नी ने उनके वियोग में आत्महत्या कर ली। उसके बाद घर वापस लौट आए। कुछ दिन बाद परिवारवालों ने तीसरी शादी कर दी और यहीं से समस्याओं का सिलसिला शुरू हो गया। शादी के कुछ ही दिन बाद चिंताहरण स्वयं बीमार पड़ गए। घर के सदस्यों के मरने का सिलसिला जारी हो गया। चिंताहरण ने बताया कि पिता राम जियावन, बड़ा भाई छोटाऊ, उसकी पत्नी इंद्रावती तथा उसके दो पुत्र, छोटा भाई बड़ाऊ तथा तीसरी पत्नी से तीन पुत्री व चार पुत्रों की मौत का सिलसिला एक के बाद एक कर चलता रहा।

अपनों की लगातार हो रही मौत से चिंता हरण टूट चुका था। एक दिन स्वप्न में बंगालन पत्नी आई तो उसने जान बख्श देने के लिए गुहार लगाई। इसके बाद उसने स्वप्न में ही कहा कि मुझे सोलहों श्रृंगार के रूप में अपने साथ रखो तब सबको छोड़ दूंगी। उसकी बात मानकर व खौफ से भयभीत होकर आज 30 साल से सोलहों श्रृंगार करके स्त्री के रूप में जी रहा है। चिंताहरण अब इसी रूप में सारा काम करते है और अपना जीवन यापन करते है। चिंताहरण अब लोगो के ऊपर का नजर और जादू टोना भी झारने का काम करते है।

चिंताहरण के पड़ोस की महिला का भी यही कहना है कि चिंता हरण इसी रूप में रहते है और किसी के यहाँ शादी विवाह या बेटा पैदा होने पर नाचते गाते भी है जिससे उन्हें लोग कुछ पैसे भी दे देते है।

आप भले ही इसे अंधविश्वास कहें लेकिन चिंताहरण को पूरा विश्वास है कि नारी वेश धारण करने के बाद से वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हो गए। घर में मौत का सिलसिला भी बंद हो गया। इस समय उसके दो पुत्र दिनेश व रमेश हैं। जो उसके साथ ही मजदूरी करके परिवार का सहयोग करते हैं। आज भी एक छोटे से कमरे में दो पुत्रों के साथ मौत के खौफ में जीवनयापन कर रहा हैं।

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