कानपुर अपहरण हत्या मामला : पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

यूपी के कानपुर में लैब टेक्नीशियन संजीत के अपहरण के 31 दिनों बाद हत्यारों को गिरफ्तार कर पुलिस भले ही खुद की पीठ थपथपाने का काम कर रही हो लेकिन सच तो यह है कि इस घटना ने एक बार फिर पुलिस की कार्यप्रणाली और अपराध को नियंत्रण करने की क्षमताओं पर सवालिया निशान लगा दिया है। कानपुर के बिकरू कांड के दौरान ही जनपद की पुलिस में जिस तरह से थाने से लेकर जिले औऱ राज्य के उच्च अधिकारियों पर सवाल खड़े हुए उसके बाद पुलिस ने गैंगस्टर का एनकाउंटर कर खुद को अपराधियों के लिए काल बताने का संदेश देने का प्रयास किया। विकास दुबे और उसके साथियों का एनकाउंटर कहीं न कही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की उस मंशा का परिचय देने के लिए ही किया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि अपराधी या तो जेल के अंदर होंगे या दूसरी जगह जहां कोई नहीं जाना चाहता। लेकिन विकास दुबे के एनकाउंटर के कुछ दिनों बाद ही गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी और फिर कानपुर में ही संजीत की हत्या ने पुलिस और सरकार पर सवाल खड़े कर दिया हैं।

आपको बता दें कि बर्रा थाना अंतर्गत लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के अपहरण के बाद उसकी हत्या कर दी गयी। अपहरण के 31 दिनों पर पुलिस ने इसका खुलासा करते हुए 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। हालांकि परिजनों को संजीत का शव तक नसीब नहीं हुआ। एसएसपी दिनेश कुमार पी के अनुसार आरोपितों ने 26 या 27 जून को ही संजीत की हत्याकर उसके शव को पांडु नदी में फेंक दिया था। जिसके बाद जानकारी मिलते ही शव की तलाश में टीमें लगाई गयीं, हालांकि संजीत का शव बरामद न हो सका।

आपको बता दें कि बर्रा निवासी लैब टेक्नीशियन संजीत यादव 22 जून की देर शाम लापता हो गये थे। मामले में दो दिन तक संजीत का सुराग न मिलने पर परिजनों ने अपहरण की आशंका जताते हुए शिकायत दर्ज करवाई। आरोप लगाया गया कि बेटी रुचि से शादी तोड़ने पर बर्रा विश्व बैंक कॉलोनी के राहुल यादव ने बेटे का अपहरण कर लिया। पुलिस ने लगाए आरोपों के आधार पर ही आरोपितों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। लेकिन कोई जानकारी हाथ नहीं लगी।

इसी बीच 29 जून को अपहरणकर्ताओं ने 30 लाख की फिरौती के लिए पहली बार कॉल की। पुलिस ने शुरुआती मामले में ढुलमुल रवैया अपनाया। इसके बाद 11 जुलाई तक अपहरणकर्ताओं ने परिजनों को फिरौती के लिए 21 बार कॉल की। इसी बीच संजीत की बहन की शादी के लिए रखे जेवरों को परिजनों ने फिरोती के लिए बेच दिया और 30 लाख रुपये जुटाए। हालांकि फिरोती की रकम देने के बाद भी जब मामले में संजीत की वापसी नहीं हुई तो परिजनों ने मीडिया के सामने आकर अपनी समस्या रखी। परिजनों के अनुसार पुलिस निगरानी में ही 13 जुलाई को फिरौती की रकम गुजैनी पुल से फेंक दी गयी, जिसके बाद अपहरणकर्ता उसे लेकर फरार हो गये। मामले के तूल पकड़ने के बाद एसएसपी ने इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया था।

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