लो अब कलाम भी हो गये साम्प्रदायिक, वीणा और गीता के बीच उलझे मिसाइल मैन
नई दिल्ली। भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम के सम्मान में बनाया गया कलाम मेमोरियल एक नए किस्म के विवाद में घिरता नज़र आ रहा है। एक तरफ कई राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं ने प्रश्न किया है कि मूर्ति के पास भगवद्गीता के श्लोक लिखवाने का क्या अर्थ निकाला जाए। वहीँ दूसरी तरफ कलाम के परिजनों का कहना है कि कलाम की प्रतिमा के पास सभी धर्मों के महान ग्रन्थों के अंश रखे जाने चाहिए।
कलाम मेमोरियल पर विवाद
बता दें कि ए॰पी॰जे॰ अब्दुल कलाम के मेमोरियल में बनाई गई मूर्ति हाथ में वीणा पकड़े हुए है। साथ ही इस मूर्ति का उद्घाटन गुरुवार को हुई कलाम की दूसरी पुण्यतिथि के दौरान रामेश्वरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों करवाया गया है। इस मूर्ति के पास ही भगवद्गीता के कुछ श्लोक भी गुदवाये गए हैं।
एमडीएमके नेता वायको ने वीणा लिए हुए कलाम की मूर्ति और उसके पास भगवद्गीता की मौजूदगी पर सवाल खड़े करते हुए प्रश्न किया कि क्या क्या भगवद्गीता तिरुक्करल से ज्यादा महान ग्रन्थ है?
उन्होंने कहा कलाम ने ग्रीस की संसद को संबोधन में तिरुक्करल से ही पंक्तियां उद्धरित की थीं।
उन्होंने इस ग्रन्थ से ही ‘हर देश मेरा देश है और सब मेरे परिजन हैं’ पंक्तियों को अपने संबोधन में इस्तेमाल किया था।
उन्होंने कहा हम अच्छे से समझते है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस तरह के हथकंडे अपना कर क्या करना चाहती है।
मूर्ति विवाद पर डीएमके नेता स्टालिन ने कहा कि कलाम की प्रतिमा के पास भगवद्गीता की मौजूदगी सांप्रदायिकता थोपने की एक कोशिश है।
उन्होंने यह सवाल भी किया कि मूर्ति के पास भगवद्गीता के श्लोकों की तरह तिरुक्कुरल (तमिल का महान ग्रन्थ) के श्लोक क्यों नहीं गुदवाये गए हैं।
वहीँ धहलान बकवी ने भी केंद्र सरकार और डीआरडीओ से कलाम की प्रतिमा के पास रखे भगवद्गीता वाले हिस्से को हटाने की मांग की है।
उनका कहना है कि कलाम सभी धर्मों के प्रति उदासीन भाव रखते थे। लेकिन इस मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है जैसे कलाम संघ परिवार के समर्थक रहे हो।
वीसीके नेता तिरुमवलन ने कहा कि कलाम की प्रतिमा के पास भगवद्गीता को जगह देकर कहीं कलाम को हिंदू धर्म के महान प्रेमी के रूप में पेश करने की मंशा तो नहीं है।
उन्होंने कहा ये मुस्लिमों का अपमान है और इसके फ़ौरन हटाया जाना चाहिए।