Livetoday Exclusive : करोड़ों की गाडि़यां कौडि़यों में बेचते पकड़े गए यूपी के अफसर!
लखनऊ। यूपी की सरकारी मशीनरी यूं ही बदनाम नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। यहां बेखौफ अफसर अपने ही नाम पर करोड़ों की गाडि़यां खरीदकर कौडि़यों के दाम बेचते हैं। खेल सालों-साल से चल रहा है। खुलासा अब आरटीआई के जरिए हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग का यह घोटाला हजारों-लाखों का नहीं, करोड़ों रुपयों का है। हर साल महंगी गाडि़यां खरीदी जा रही हैं। लेकिन ये अफसरों को नहीं मिल रहीं, बल्कि साल पूरा होते ही कौड़ी के भाव बेच दी जाती हैं। साल भर इन गाडि़यों से कौन सैर करता है, इसकी जानकारी भी किसी के पास नहीं है। इस मामले में आरटीआई दाखिल करने वाले आरके सैनी के मुताबिक उनके तीन अहम सवाल थे।
1-स्वास्थ्य विभाग में कुल कितने ड्राइवर हैं, ये ड्राइवर किन-किन गाडि़यों पर तैनात हैं?
2-किस श्रेणी के वाहन किन-किन अधिकारियों को दिए गए हैं?
3-साल 2013 से 2015 के बीच कितने वाहनों की नीलामी की गई?
करोड़ों की गाडि़यां यूं बिकीं कौडि़यों में
सवालों के गोलमोल जवाब दिए गए, लेकिन कई राज छुपाना फिर भी मुश्किल साबित हुआ। आरटीआई के जरिए जो खुलासे हुए, उसके मुताबिक :-
-वित्तीय वर्ष 2014-15 में 48 गाड़ियां खरीदी गईं, जिनकी कीमत करीब तीन करोड़ पांच लाख रुपए।
-अगले वित्तीय वर्ष में 82 गाड़ियां खरीदी गई, जिनकी कीमत 5 करोड़ 20 लाख।
खेल इस खरीद के बाद शुरू हुआ। विभाग ने 2015 में जिन 22 गाड़ियों की नीलामी की, उनसे 2 लाख 32 हजार रुपए ही मिले। यानी एक गाड़ी से महज 10 हजार रुपए।
2014 में जिन 48 गाड़ियों को बेचा गया, उनसे महज तीन लाख रुपए आए।
अब सवाल यह कि 2014 में खरीदी गईं 48 गाडि़यां एक साल में क्या इस कदर कबाड़ हो गईं कि पांच करोड़ रुपए खर्च कर 82 नई गाडि़यां खरीदनी पड़ीं।
दूसरा सवाल, स्वास्थ्य विभाग में 56 अफसरों के नाम पर 82 गाडि़यां क्यों खरीदी गईं?
इस मामले की शिकायत मुख्य सचिव से लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक से की गई, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
मामले का खुलासा होने के बाद अब स्वास्थ्य मंत्री शिवाकांत ओझा ने एक्शन लेने का दावा किया है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पूरे मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन आऱटीआई ने उनकी पोल खोलकर रख दी है।
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