कमलनाथ के इस मास्टर स्ट्रोक के आगे पस्त हुई बीजेपी, सफाई देने के लिए नहीं बचे कोई शब्द

कर्नाटक की तर्ज पर जहाँ बीजेपी ने मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर भी नजरें टेढ़ी की थीं. लेकिन हुआ इसका उल्टा कमलनाथ सरकार ने एक ऐसा दांव खेला जिससे बीजेपी चारों खाने चित्त हो गयी. बीजेपी के बड़े बड़े दिग्गज भी कमलनाथ के आगे इस समय बौने साबित हो रहें हैं. कमलनाथ ने अपने मास्टर स्ट्रोक से बीजेपी को ऐसा करारा जवाब दिया है जिसके बाद बीजेपी के पास बोलने के लिए शब्द कम पड़ गए हैं.

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की राष्ट्रीय राजनीति में पहचान ‘कम बोलने वाले और बड़ा काम करने वाले’ नेता की रही है. राज्य की सियासत में यह नजर भी आया, जब विधानसभा के भीतर बीजेपी के दो विधायकों ने कांग्रेस के विधेयक का समर्थन कर सबको चौंका दिया.

राज्य की सात माह पुरानी कमलनाथ सरकार के भविष्य को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत नहीं है. यह सरकार बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है. सरकार के बाहरी समर्थन से चलने के कारण ही बीजेपी की ओर से लगातार ‘कमजोर सरकार’ कहकर हमले किए जाते रहे हैं.

कर्नाटक के घटनाक्रम के बाद बीजेपी के विधायक उत्साहित थे और उन्होंने सरकार को कभी भी गिरा देने का ऐलान तक कर दिया. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने तो ऊपर के इशारे पर एक दिन भी सरकार के न चलने देने का दावा किया, मगर शाम होते तक उलटा हो गया, बीजेपी के दो विधायकों ने खुले तौर पर कांग्रेस के विधेयक का समर्थन कर दिया.

इसे कमलनाथ की राजनीतिक जीत के तौर पर देखा जा रहा है. विधानसभा के भीतर बीजेपी के दो विधायकों द्वारा कांग्रेस के विधेयक को समर्थन देने का घटनाक्रम अचानक नहीं हुआ, बल्कि इस पर कांग्रेस लंबे समय से काम कर रही थी. बस कमलनाथ और बीजेपी के विधायकों को मौके की तलाश थी.

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राज्य सरकार और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीते सात माह में विशेष मौकों पर कई बार यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनकी सरकार को किसी तरह का खतरा नहीं है. विधानसभा में बजट पारित कराने का मामला हो या दीगर, कम से कम चार बार बहुमत साबित भी किया है.

कमलनाथ की बतौर मुख्यमंत्री सात माह की कार्यशैली पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि उन्होंने अपने ही दल और समर्थन देने वाले दलों के विधायकों से लेकर विपक्ष के विधायकों की मांग को भी पूरा करने में हिचक नहीं दिखाई. यही कारण है कि बीजेपी की ओर से सीधे तौर पर कमलनाथ पर कम ही हमले किए गए.

वहीं दूसरी ओर कमलनाथ सरकार ने उन सारे मामलों को खोलने की कोशिश की है, जिसमें बीजेपी के बड़े नेताओं पर आंच आने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता.

बीजेपी बीते कुछ दिनों से कमलनाथ सरकार पर तबादला उद्योग चलाने का आरोप लगाती रही, संभावना थी कि विधानसभा सत्र में यह मसला गर्म रहेगा, मगर विधानसभा में बीजेपी की ओर से इस मसले का जिक्र तक नहीं किया.

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इतना ही नहीं, किसान कर्जमाफी पर भी बीजेपी कमजोर नजर आई. इसे कमलनाथ की राजनीतिक रणनीति की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. एक तरफ जहां बीजेपी के हमले कमजोर पड़ रहे थे.

विधानसभा में बीजेपी का बिखराव नजर आ रहा था. उसी बीच एक विधेयक के जरिए कमलनाथ ने बीजेपी की कमजोर कड़ी को उजागर कर दिया. बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव सहित अन्य नेता लोकतंत्र की हत्या करार दे रहे हैं तो सरकार के मंत्री पी.सी. शर्मा बीजेपी के और भी विधायक उनके संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं.

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