कभी नहीं दिया राजनीति का साथ, धर्म से ज्यादा देश था मायने

 

अब्दुल कलामनई दिल्ली। भारत के सबसे लोकप्रिय ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का आज जन्मदिन हैं। जहन में अब्दुल कलाम का नाम आते ही हमारा सर गर्व से उंचा हो जाता है।

कलाम वो व्यक्ति थे जो खास होकर भी बिना शर्म के आम जिंदगी जीते थे। एक छोटे से परिवार का आदमी एक दिन भारत का सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति बन जाएगा यह किसने सोचा था।

पद्मभूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से भी नवाजे जाने वाले कलाम की सफलता के कहानी के पिछे उनके कई संघर्ष छुपे है।

15 अक्टूबर,1931 को भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के रामेश्वर में पैदा हुए एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। कलाम का जन्म एक मछुआरे घर में हुआ था।

कलाम साहब का बचपन बेहद अभावों में बीता था। गणित और भौतिक विज्ञान कलाम के पसंदीदा विषय थे। कलाम को शिक्षा से इतना ज्यादा प्यार था कि वह बस स्टैंड पर अखबार बेच कर अपनी पढ़ाई का खर्चा निकाला करते थे। कलाम ने अपनी पढ़ाई रोड की लाईट के नीचे की।

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कलाम साहब देश के पहले ऐसे राष्ट्रपति बने जिसका राजनीतिक से कोई लेना देना नहीं था। जनता ने राष्ट्रपति कलाम को इतना ज्यादा प्यार और समर्थन दिया कि उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा जाने लगा।

कलाम इतने सच्चे राष्ट्रपति थे कि जब आलीशान और वैभवशाली राष्ट्रपति भवन में उनके रिश्तेदार उनसे मिलने आए तो उनके रहने का किराया उन्होंने अपनी जेब से भरा था।

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इतना ही नहीं कलाम ने राष्ट्रपति बनने के पहले ही साल रमजान के पाक महिने में होने वाली इफ्तार की दावत को बंद करा दिया था। इस दावत को बंद कराकर उन्होंने इसकी तय रकम को अनाथ बच्चों की चैरिटी में लगा दिया।

कलाम साहब पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो लैपटॉप का इस्तेमाल करते थे। इस दौरान उन्होंने देश को 2020 विजन भी दिया। वह देश के पहले ऐसे सार्वजनिक जीवन के व्यक्ति थे जिनकी ईमेल आईडी पूरे देश को पता थी और हर ईमेल का लोगों को जवाब भी मिलता था।

कलाम साहब को ऐसे मिली प्रेरणा-

कलाम साहब को अक्सर उड़ती चिड़ियां काफी प्रभावित करती थी। कलाम जब 5वीं कक्षा में थे तो उन्होंने एक दिन टीचर से पूछ ही लिया कि आखिर यह चिड़िया उड़ती कैसे है। क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए। वहां कई पक्षी उड़ रहे थे। कुछ समुद्र किनारे उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे।

वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है। उन्होंने बताया कि अय्यर द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी।

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