जेटली ने दिखाई लाल झंडी, जीएसटी के इस वार से नहीं बचेंगे तन पर कपड़े!

कपड़ों पर जीएसटीनई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि कपड़ा व्यापारियों की कपड़ों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट देने की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके बाद रेडीमेड वस्त्र निर्माता लागत कर का लाभ नहीं उठा पाएंगे। जेटली ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा, “कपड़ा उद्योग पर जीएसटी की दरों के बारे में जीएसटी परिषद में विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। कपड़ों पर शून्य जीएसटी से इनपुट क्रेडिट की श्रृंखला प्रभावित होगी और वस्त्र निर्माता पिछले चरण पर चुकाए गए कर का क्रेडिट हासिल नहीं कर पाएंगे।”

कपड़ों पर जीएसटी

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जेटली ने कहा कि कपड़ों पर शून्य जीएसटी से आयातित वस्त्रों पर जीएसटी की दर शून्य हो जाएगी, जबकि घरेलू वस्त्र निर्माताओं को इनपुट कर का बोझ उठाना पड़ेगा।

वहीं, कपड़ा उद्योग आयातित कपड़ों पर शून्य रेटिंग की मांग कर रहा है और कह रहा है कि इस क्षेत्र से कभी कर नहीं वसूला गया।

कपड़ा उद्योग का कहना है कि कर की दर और अनुपालन लागत के चलते जीएसटी के तहत कपड़ा 10-12 फीसदी महंगा हो जाएगा, जिससे भारतीय वस्त्र उद्योग विश्व स्तर पर अप्रतिस्पर्धी हो जाएगा।

जेटली ने कहा, “यह सही नहीं है कि वस्त्रों पर स्वतंत्र भारत में कभी कर नहीं लगाया गया था। वास्तव में वित्त वर्ष 2003-04 के दौरान इस क्षेत्र को केंद्रीय उत्पाद शुल्क के अधीन किया गया था।”

मंत्री ने आश्वासन दिया कि जीएसटी की दरें इससे पहले के करों के बराबर या कम हैं और इससे कपड़े की कीमतें बढ़ने की संभावना नहीं है।

जीएसटी के तहत जिन कपड़ों की कीमत 1,000 रुपये प्रति पीस से अधिक नहीं है, उसपर कर की दर पांच फीसदी रखी गई, जबकि 1000 रुपये प्रति पीस से अधिक मूल्य वाले कपड़ों पर कर की दर 12 फीसदी रखी गई है।

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