एनएसजी में एंट्री न मिलने पर भारत के बारे में अमेरिका ने कही ये बात…

एनएसजी वाशिंगटन। अमेरिका ने आज कहा कि भारत के लिए परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानि  एनएसजी का एक पूर्ण सदस्य बनने का ‘आगे का एक रास्ता’ वर्ष के अंत तक है। अमेरिका ने यह बात सोल में एनएसजी की एक पूर्ण बैठक समाप्त होने के कुछ घंटे बाद कही जिसमें चीन नीत विरोध के मद्देनजर भारत की सदस्यता के बारे में कोई निर्णय नहीं हो सका।

ओबामा प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘हमें पूरा भरोसा है कि हमारे समक्ष इस वर्ष के अंत तक आगे का एक रास्ता है।’ अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘इसके लिए कुछ काम करने की जरूरत है। यद्यपि हमें इस बात का भरोसा है कि वर्ष के अंत तक भारत (एनएसजी) व्यवस्था का एक पूर्ण सदस्य होगा।’ अधिकारी ने 48 सदस्यीय समूह के भीतर भारत की सदस्यता को लेकर हुई चर्चाओं और विरोध की जानकारी का खुलासा करने से इनकार करते हुए कहा कि आंतरिक चर्चाओं की जानकारी गोपनीय है।

एनएसजी सदस्‍यता मिलने की साल के अंत तक उम्‍मीद

अधिकारी ने कहा कि यद्यपि अमेरिका का भारत की एनएसजी की सदस्यता को लेकर दृढ़ विश्वास है और ओबामा प्रशासन ने इस मुद्दे पर भारत समेत अन्य देशों के साथ नजदीकी तौर पर काम किया है। अधिकारी ने चर्चाओं की जानकारी दिये बिना प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में हुई इसी तरह की चर्चा का उल्लेख किया जिसमें भारत को उसके सदस्य देशों के बीच कई महीने की चर्चा के बाद इस महीने के शुरू में शामिल किया गया था।

एनएसजी की तरह ही एमटीसीआर में भी निर्णय सहमति से किये जाते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘हमें उस भूमिका पर एक निर्णय की उम्मीद थी जो भारत निभाएगा। हम इस सप्ताह चर्चा समाप्त कर पाये और हमारे सामने भारत के एक पूर्ण सदस्य बनने के लिए वर्ष के अंत तक एक आगे का रास्ता है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका उम्मीद करता है कि भारत को एनएसजी की सदस्यता इस वर्ष के अंत तक हासिल हो सकेगी, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने दोहराया, ‘यह हमारी उम्मीद है।’

अधिकारी ने कहा, ‘हमारी उम्मीद है कि यह इस वर्ष के अंत तक पूरा हो जाएगा।’ एनएसजी की पूर्ण बैठक सियोल में समाप्त हुई जिसमें भारत की सदस्यता के बारे में कोई निर्णय नहीं किया गया। चीन ने भारत की एनएसजी की सदस्यता के दावेदारी के अपने विरोध को गोपनीय नहीं रखा। यद्यपि उसने भारत के पास पर्याप्त बहुमत होने के बावजूद उसकी सदस्यता की दावेदारी को रोक दिया। भारतीय अधिकारियों के अनुसार 38 देशों ने भारत का समर्थन किया।

LIVE TV