एक बार फिर संकटों से घिरा पाक , इमरान खान ने की ट्रंप से मुलाकात…

आज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की पहली मुलाकात होनी है. ट्रंप से मुलाकात के लिए इमरान खान पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा और आईएसआई चीफ असीम मुनीर के साथ अमेरिका दौरे पर पहुंचे हैं.

 

बतादें की पाकिस्तान के इतिहास में ये पहला मौका है जब वहां के प्रधानमंत्री के साथ ये दोनों प्रमुख सैन्य कमांडर व्हाइट हाउस गए हों. इससे अंदाजा लगता है कि आतंकवाद को लेकर दुनिया में अलग-थलग पड़ता पाकिस्तान अपना आर्थिक संकट कम करने के लिए कितनी बेचैनी में है.

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वहीं अमेरिकी सैन्य मदद रुकने के बाद से पाकिस्तान अपने देश के अंदर भी आर्थिक संकट से जूझ रहा है और हालात संभलने की संभावना अब खत्म होती जा रही है.

जहां विदेशी मुद्रा खत्म होने की ओर है, पाकिस्तानी रुपये की हालत ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर है. आतंकवाद पर भारत के अभियान से दुनिया में पाकिस्तान कूटनीतिक रूप से भी अलग-थलग होता जा रहा है.

इस हालत में अब पाकिस्तान को फिर अपने पुराने आका अमेरिका से मदद की उम्मीद है. ऐसे में दुनिया की नजर इस बात पर है कि कंगाली की स्थिति में आ चुका इमरान का नया पाकिस्तान अमेरिका से चाहता क्या है? खासकर ये 5 मुद्दे ऐसे हैं जहां चीन की लाख मदद के बावजूद बिना ट्रंप और अमेरिका की रहमदिली के पाकिस्तान का काम चलता हुआ नहीं दिखता.

खबरों के मुताबिक दुनिया में आतंकवाद का पर्याय बन चुका पाकिस्तान FATF के बैन को लेकर डरा हुआ है. अक्टूबर में FATF यानी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक होनी है जिसमें पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में डालने का फैसला होना है. मार्च में पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया था और उसे आतंकी मदद रोकने के लिए एफएटीएफ की ओर से 27 टारगेट दिए गए थे.

जहां जून में हुई बैठक में पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों को नाकाफी बताया गया. जिससे पाकिस्तान पर अक्टूबर में ब्लैकलिस्ट होने का खतरा बढ़ गया है. अगर एफएटीएफ ब्लैकलिस्ट कर देता है तो अंतरराष्ट्रीय मदद बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को मिलनी बंद हो जाएगी. आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान पर इससे दिवालिया होने का खतरा बढ़ जाएगा.

दरअसल इमरान खान आतंकियों को मदद रोकने का भरोसा देकर अमेरिका का गुस्सा कम कर एफएटीएफ में राहत की उम्मीद करेंगे. पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की ओर से आतंकियों की मदद रोकने का भरोसा दिलाने के लिए दोनों के चीफ भी अमेरिका दौरे पर इमरान के साथ होंगे. दौरे से पहले आतंकी हाफिज सईद की गिरफ्तारी अमेरिका को यही संकेत देने के लिए पाकिस्तान ने की.

देखा जाये तो पाकिस्तान के बजट का 30 प्रतिशत तो सिर्फ कर्ज चुकाने में चला जाता है. इसके बाद भी उसे कर्ज चुकाने के लिए और कर्ज लेना पड़ रहा है. पाकिस्तान ने हाल ही में आईएमएफ से 6 बिलियन डॉलर का बेलआउट पैकेज लिया है लेकिन इसके लिए उसके सामने कड़ी शर्तें रखी गई हैं.

जहां इसके बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा मदद में 2 बिलियन डॉलर की कटौती की. इस कटौती में सैन्य मदद के 300 मिलियन डॉलर भी शामिल थे. अब भी पाकिस्तान के लिए संकेत अच्छे नहीं हैं. इमरान खान की अमेरिका यात्रा से ठीक पहले अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट सामने आई है.

वहीं जब तक पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर लेता है तब तक अमेरिका की ओर से मिलने वाली आर्थिक मदद सस्पेंड ही रहेगी.

 

 

 

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