जानिए आखिर क्यों दी जाती है दिवाली में उल्लुओं की बलि
दुनियाभर में अंधविश्वास और अंधविश्वासी लोगो की कमी नही है. आज भी गांव के लोग शुभ-अशुभ,टोना-टोटका,बलि आदि पर विश्वास करते है. इसी तरह लोगों का मानना है कि अगर हम उल्लुओं की बलि देंगे तो हम पैसे वाले बन जाएंगे. उल्लुओं को मारने का सिलसिला दिवाली का समय धनतेरस से शुरू होता है और दिवाली की रात तक चलता रहता है. ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन उल्लुओं के बलि देने से मां लक्ष्मी खुश होती है और लोगों को धन की प्राप्ति होती है.
पूजा से पहले होती है उल्लुओं की खातिरदारी
उल्लुओं की बलि देने से पहले तांत्रिक लोग उनकी जमकर खातिरदारी करते हैं. पूजा होने से पहले 45 दिन पहले से ही शराब और मांस खिलाया जाता है.
उल्लू के बारे में लोगों की राय
उल्लू के बारे में लोगों की अलग-अलग राय है. कहीं इसे बुद्धि का प्रतीक माना जाता है तो कहीं इसे अशुभ भी कहा माना है. कुछ लोगों का मानना है कि उल्लू लक्ष्मी माता का प्रतीक होता है और इस लिहाज से वो काफी शुभ और बुद्धिमान भी होता है.ऐसा भी कहा जाता है कि अगर हम उल्लू को कंकड़ से मारें और ये उस कंकड़ को अपने मुंह में दबा ले और किसी भी नदी या तालाब में फेंक आए तो कंकड़ के डूबने के साथ ही उस इंसान की भी मौत हो जाती है.अंधविश्वास के चलते दिवाली के समय में इसकी कीमत बढ़ जाती है.जहां हमे ऐसे में उल्लू 300-500 तक मिल जाता हैं वहीँ दिवाली के समय में इसकी कीमत 10,0000 से शुरू होती है और उल्लू के खासियत के अनुसार इसके दाम बढ़ते जाते हैं.
उल्लू को मारने पर हो सकती है सजा
आपको बता दें कि उल्लू को मारना गैरकानूनी है और इसे मारने वाले को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है, कोई भी धर्म बेजुबानों की जान लेना नहीं सिखाता और ना ही कोई देवी-देवता किसी जानवर की बलि मांगते हैं. लेकिन कुछ लोग अपना स्वार्थ के चलते इस तरह के अंधविश्वास को समाज में फैलाते हैं और फिर इसका फायदा भी उठाते हैं.