उन्नाव रेप केस! पुलिस की मौजूदगी में पीड़िता को धमकाते थे बीजेपी MLA…

उन्नाव रेप केस जहां एक तरफ पीड़िता जिंदगी और मौत से लड़ रही हैं. तो वहीं दूसरी तरफ पीड़िता के परिजन इंसाफ कि गुहार लगा रहे हैं. देखा जाये तो 28 जुलाई को रायबरेली जाते हुए एक्सीडेंट में मारे गए पीड़िता के रिश्तेदारों और इस मामले के गवाहों का आखिर संगीनों के साए में अंतिम संस्कार कर दिया गया. वहीं इंसाफ की इस लड़ाई में पीड़िता अब आहिस्ता-आहिस्ता अकेली पड़ती जा रही है. जहां उन्नाव के इस गांव में अंतिम संस्कार हो रहा है. जहां कानून का, इंसाफ का, मर्यादा का, हक और हकूक का.

 

खबरों के मुताबिक वैसे तो वो एक बेहद आम महिला की आखिरी विदाई है. लेकिन उस महिला का रिश्ता उस बिटिया है जिसकी इज्जत को इसी उन्नाव की धरती पर धराशायी कर दिया गया. देखा जाये तो उन्नाव रेप कांड की पीडिता की चाची का बुधवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया. उसी चाची का जो पीड़िता के साथ सड़क हादसे में बुरी तरह जख्मी हो गई थी और डॉक्टरों की लगातार कोशिशों के बाद जिंदा नहीं बच सकी.

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उन्नाव रेप कांड में पीड़िता की एक मददगार को खामोश कर दिया गया है. पीडिता की चाची इंसाफ की जंग में पूरी ताकत से उसके साथ खड़ी थी. रायबरेली से चंद किलोमीटर दूर जिस कार को कालिख पुती प्लेट वाले ट्रक ने चकनाचूर कर दिया उसमें पीडिता की चाची भी थी. पिता नहीं रहे, चाची चली गई. चाचा भी जेल में हैं. कानूनी प्रक्रिया के बाद चाचा को अंतिम संस्कार के लिए गांव ले जाया गया. ये केस इतना संगीन और इतना पेचीदा है कि खुद डीएम को चंद घंटे की जमानत के कागजात लेकर जेल आना पड़ा. पीड़िता के चाचा को बेहद कडी सुरक्षा में गांव ले जाया गया.

ये उस परिवार की बदनसीबी है कि उसका सामना एक ऐसे ताकतवर शख्स से है जिसके दामन पर हाथ डालने की जुर्रत देश की सबसे बड़ी और सर्वशक्ति संपन्न पार्टी भी नहीं कर पा रही है. अगर इस केस में उन्नाव के बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर का नाम ना उछला होता तो कम से कम एक सदस्य के असामयिक निधन पर परिवार वालों को मातम का मौका मिला होता. लेकिन देख लीजिए लखनऊ से उन्नाव तक इस परिवार के साथ सिर्फ और सिर्फ सुरक्ष का घेरा है. शुभचिंतकों से दूर ये परिवार अपने गम और अपनी बदनसीबी से खुद जूझ रहा है.

उन्नाव रेप केस एक टेस्ट केस है. उस सिस्टम के लिए जहां रेप की शिकार एक बेटी इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद आज आईसीयू में मौत के सामने खड़ी है. अगर उसने दम तोड़ दिया तो कानून और न्याय व्यवस्था पर भरोसे का भी दम घुट जाएगा.

उन्नाव से रायबरेली के रास्ते में बीती 28 जुलाई को हुआ एक्सीडेंट साज़िश था या हादसा इसका खुलासा उस सीसीवीटी की फुटेज से हो सकता है. जो मौका-ए-वारदात से महज़ 8 किमी दूर एक टोल प्लाज़ा की है. एक्सीडेंट से पहले पीड़िता की मारुति कार इस टोल से गुज़री थी. वारदात की टीम ने टोल पर लगे इस सीसीटीवी के फुटेज को ढूंढ निकाला. जिसमें पीड़िता की कार टोल से गुज़रते हुए साफ नज़र आ रही है. ये तस्वीरें उसी टोल प्लाज़ा पर लगे सीसीटीवी के कैमरे की है.

पीड़िता के परिजन बताते हैं कि कभी शराब के नशे में, तो कभी हथियारों के साथ. तो कभी दर्जनभर गुंडे बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के इशारे पर हर दिन रेप पीड़िता के घर आते थे. उसे धमकाते थे. परिवार को जान से मारने की धमकी देते थे. और चले जाते थे. और तो और मोबाइल का कैमरा ऑन होने के बाद भी उनकी गुंडई खत्म नहीं होती थी. फर्क बस इतना रह जाता कि तब ये पीड़िता को अपनी बहन कहने लगते थे.

ऐसा ही एक वीडियो में देखा जा सकता है कि शराब के नशे में चूर नीली टीशर्ट पहने एक शख्स भी पीड़िता को धमकाने आया था. मगर जब पीड़िता ने मोबाइल का कैमरा ऑन कर दिया तो इसने अपनी टोन ही बदल दी. धमकी देते देते ये पीड़िता को अपनी बहन और उसके परिवार को अपना परिवार बताने लगा. मगर तब भी ये धमकाने वाले अंदाज़ में ये कहता हुआ चला गया कि आएंगे हमेशा आएंगे. ज़िंदगी है परिवार है. तो मैं आऊंगा.

बताया जाता है कि पिछले एक साल में कोई भी ऐसा दिन नहीं गुज़रा जब कुलदीप सेंगर के इन गुंडों ने रेप पीड़िता या उसके परिवार वालों को धमकाया नहीं. तंग आकर रेप पीड़िता ने 365 दिन में 35 बार पुलिस और प्रशासन से लिखित में ये गुज़ारिश की. आशंका जताई. सबूत पेश किए कि बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के लोगों से उसे और उसके खानदान वालों को जान का खतरा है. मगर विधायक के लोगों पर कार्रवाई करने के बजाए यूपी की पुलिस और कानून ने उसे अनसुना कर दिया.

वहीं साल के हर दसवें दिन उन्नाव की गैंग रेप पीड़िता या उसका परिवार पुलिस के सामने गिड़गड़ाता रहा. बार-बार मदद की भीख मांगता रहा. मगर उन्नाव पुलिस और प्रशासन पर सत्ता का खौफ इस कदर तारी था कि उसे इस अभागी की फरयाद सुनाई ही नहीं दी.

दरअसल उन्नाव पुलिस को 365 दिन में दी गई पीड़िता की 35 लिखित शिकायतों में से एक पर भी कार्रवाई कर ली होती तो शायद आज पीड़िता की चाची और मौसी जिंदा होते. और वो खुद भी ज़िंदगी और मौत की जंग ना लड़ रही होती. मगर ऐसा लग रहा था जैसे उन्नाव के पूरे पुलिस और प्रशासन ने कानों में रुई डाल रखी थी. और वो कुलदीप सेंगर के गुंडों को खामोश रह कर शह दे रहे थे. अब तो पीड़िता के परिवार के बचे बाकी सदस्यों को भी आशंका है कि आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर उन्हें भी निशाना बना सकता है.

 

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