यहां महिला थानों में भी नहीं जाना चाहतीं महिला दारोगा, कारण जानकार हो जाएंगे हैरान

उत्तराखंड पुलिस
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देहरादून। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। कई जगह पुरुषों से बेहतर काम कर के खुद को बेहतर साबित भी कर रही हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि उत्तराखंड पुलिस में एक भी महिला दारोगा थाने या चौकी का चार्ज लेने का तैयार नहीं है। हालत यह है कि राज्य के दो महिला थानों में भी कोई महिला दारोगा एसओ नहीं बनना चाहतीं। अब पीएचक्यू ने दो और महिला थानों को प्रस्ताव शासन को भेजा है। जहां थाने और चौकी का चार्ज लेने के लिए दारोगाओं में होड़ मची रहती है, वहीं महिलाएं अफसरों के कहने के बावजूद थाने या चौकियों का चार्ज नहीं लेना चाहती हैं।

राज्य पुलिस में थाने और चौकी स्तर पर महिला दारोगाओं की भूमिका को सशक्त करने को डीजीपी एमए गणपति ने सभी जिलों के कप्तानों को एक महिला को एसओ बनाने के निर्देश दिए थे, पर ऐसा नहीं हुआ। दरअसल, थानों में दिन-रात का काम और इस बीच घर -परिवार में सामंजस्य न बैठा पाना इसके पीछे कारण बताया जा रहा है।

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राज्य में महिला दरोगा थानों का चार्ज लेने को तैयार नहीं। श्रीनगर, अल्मोड़ा के महिला थानों के लिए महिला एसओ नहीं मिल रहे। ऐसे में पीएचक्यू दो और महिला थानों का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज रहा है। जिनमें एक हरिद्वार, एक पौड़ी में खोलना प्रस्तावित है। एसपी (पीएचक्यू) निवेदिता कुकरेती ने बताया कि प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है।

सभी कप्तानों को अपने जिले में कम से कम एक महिला दारोगा को एसओ बनाने को कहा गया है। लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक एक भी महिला एसओ नहीं बन पाई। महिला दारोगा खुद ही चार्ज लेने को तैयार नहीं हैं। महिला चीता योजना भी अभी ट्रायल के तौर पर शुरू की गई है। अगर योजना सफल रही तो इसे दूसरे जिलों में भी शुरू किया जाएगा।

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