क्या है ईशान कोण और क्या है इसका महत्व, समझें

बचपन से ही हम सभी को हमारे माता- पिता और गुरुओं ने बेहद आसान तरीके से चारो दिशाओं का ज्ञान जरूर करवाया होगा। चारो दिशाओं को मालूम करने के लिए जिस दिशा में सूर्य उगता है वह पूर्व दिशा होती है ।

ईशान कोण

उसकी तरफ मुंह करके खड़े होने पर बाई ओर उत्तर दिशा और दायी ओर दक्षिण दिशा कहलाती है। पीठ के पीछे की दिशा पश्चिम दिशा कहलाती है। वास्तुशास्त्र में जीवन को सुखी और सम्पन्नता के लिए कई तरह के वास्तु उपाय बताए गए हैं जिसमें वास्तु दिशाओं की बहुत बड़ी भूमिका होती है।

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वास्तु में दिशाओं का महत्व

वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक दिशा में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाएं होती हैं। जहां पर दो दिशाएं आपस में मिलती है वह कोण बहुत मायने रखता है।

– उत्तर और पूर्व के बीच वाले कोण को उत्तर-पूर्व या ईशान कहते हैं।

– पूर्व और दक्षिण के बीच वाले कोण को दक्षिण-पूर्व या आग्नेय कहते हैं।

– दक्षिण और पश्चिम के बीच वाले कोण को दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य कहते हैं।

– पश्चिम और उत्तर के बीच के कोण को उत्तर-पश्चिम या वायव्य कोण कहते हैं।

– बीच वाले हिस्से को ब्रह्रास्थान कहते हैं।

दिशाओं के ज्योतिषीय मायने

पूर्व दिशा  
पूर्व दिशा के प्रतिनिधि सूर्य और स्वामी इंद्र हैं। सम्पूर्ण सृष्टि में प्राणियों एवं वनस्पतियों की उत्पत्ति एवं पोषण सूर्य के द्वारा ही होता है। इसलिए घर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर होना अत्यंत शुभ माना गया है।
पूर्व दिशा क्या हो और क्या नहीं

जिस घर का मुख्य द्वार पूर्व की ओर हो या पूर्व की ओर बड़ी-बड़ी खिड़कियां हों, तो उस घर में निवास करने वाले व्यक्तियों को अच्छे स्वास्थ्य के साथ पराक्रम, तेजस्विता, सुख-समृद्धि, बुद्धि-विवेक, धन-धन्य, भाग्य एवं गौरवपूर्ण जीवन की प्राप्ति होती है।

घर के पूर्व दिशा में कूड़ा-कचरा, पत्थर या मिटटी का ढेर नहीं रखना रखना चाहिए। इससे यश व प्रतिष्ठा में कमी आती है और संतान की हानि, विकलांग संतान का जन्म व पिता के सुख में कमी आती है। यदि आपके भवन की पूर्व दिशा में दोष हो तो धन का अपव्यय, ऋण, मानसिक अशांति, सिर से सम्बंधित रोग, हड्डी के टूटने एवं ह्रदय से सम्बंधित बीमारियां आदि होती हैं।

उत्तर दिशा- क्या हो और क्या नहीं

उत्तर दिशा के प्रतिनिधि ग्रह बुध व स्वामी कुबेर हैं। बुध जिस ग्रह के साथ होगा उसी के अनुसार आपको फल प्रदान करेगा। बुध यदि किसी शुभ ग्रह के साथ है तो शुभ  और यदि अशुभ ग्रह के साथ है तो अशुभ फल प्रदान करता है। उत्तर दिशा व्यक्ति की बुद्धि, विद्या, ज्ञान एवं धन के लिए शुभ होती है।

– भवन में धन संचित करने का स्थान उत्तर दिशा में हो तो शुभ होता है। इस दिशा में खाली जगह छोड़ने से ननिहाल पक्ष से लाभ मिलता है। नौकर-चाकर, मित्र घर और विभिन्न प्रकार के सुख की प्राप्ति होती है।

– उत्तर दिशा दोषपूर्ण रहने पर मातृ सुख, नौकर चाकर के सुख, भौतिक सुख आदि की कमी रहती है। साथ ही हार्निया, ह्रदय एवं सीने के रोग, चर्म रोग, गॉल ब्लैडर, पागलपन हैजे, फेफड़े एवं रक्त से सम्बंधित बीमारियों की सम्भावना रहती है।

 

 

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