इस दुनिया से अलविदा कह गये ‘ए भाई जरा देखके चलो” के लेखक

मुंबई. ‘लिखे जो खत तुझे…’,’आज मदहोश हुआ जाए…’, ‘ए भाई जरा देखके चलो…’, ‘दिल आज शायर है, ग़म आज नगमा है…’, ‘शोखियों में घोला जाये, फूलों का शबाब.. ऐसे मशहूर गाने लिखने वाले महफिलों और मंचों की शमां रोशन करने वाले बेहतहरीन नगमे लिखने के ख्वाहिशमंद मशहूर गीतकार और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित कवि गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ ने कल शाम आख़री साँस ले कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

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मशहूर गीतकार गोपालदास नीरज का 93 वर्ष की के थे. उनका निधन दिल्‍ली के एम्‍स अस्पताल में हुआ. कल शाम सात बजकर 35 मिनट परउन्होंने आखरी साँस ली.

गोपालदास नीरज पुत्र शशांक प्रभाकर ने आगरा में प्रारंभिक उपचार के बाद उन्हें बुधवार को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था लेकिन डॉक्टरों के अथक प्रयासों के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका.

उन्होंने बताया कि उनकी पार्थिव देह को पहले आगरा में लोगों के अंतिम दर्शनार्थ रखा जाएगा और उसके बाद पार्थिव देह को अलीगढ़ ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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गोपालदास नीरज को फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए तीन बार फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला. गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था. मात्र 6 वर्ष की आयु में पिता गुजर गए थे.

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‘दर्द दिया है’ (1956), ‘आसावरी’ (1963), ‘मुक्तकी’ (1958), ‘कारवां गुजर गया’ 1964, ‘लिख-लिख भेजत पाती’ (पत्र संकलन), पन्त-कला, काव्य और दर्शन (आलोचना) शामिल हैं. 1991 में पद्मश्री और 2007 में पद्मभूषण पुरस्कार प्रदान किया गया.

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नीरज ने कुछ समय के लिए मेरठ कॉलेज, मेरठ में हिंदी प्रवक्ता के पद पर भी काम किया. कॉलेज प्रशासन द्वारा उन पर कक्षाएं न लेने व रोमांस करने के आरोप लगाये गये जिससे कुपित होकर नीरज ने स्वयं ही नौकरी से त्यागपत्र दे दिया. उसके बाद वे अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हुए.

गोपालदास नीरज ने  बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए गाने लिखे थे. उनके लिखे गाने ऐसे अमर हुए कि आज भी लोग उनके गाने को गुनगुनाते हैं.

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