इस गांव में नहीं मनाया जाता है भाई-बेहन का रक्षाबंधन त्यौहार, वजह जानकर आप भी हो जाएगे हैरान

भारत देश में हर त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं और ऐसा ही एक त्यौहार हैं रक्षाबंधन जो भाई-बहिन के प्यार का प्रतीक हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा गांव भी हैं जहां रक्षाबंधन का यह पर्व पिछले 900 सालों से नहीं मनाया जा रहा हैं। हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के मुरादनगर की। इसके पीछे की वजह दिल दुखाने वाली हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

यहां पर पिछले 900 वर्षों से छाबड़िया गोत्र के भाइयों की कलाइयों पर रक्षा सूत्र नहीं बंधा है। इतना ही नहीं जिसने भी इसे तोड़ने का प्रयास किया, उसके साथ कुछ अनर्थ ही हुआ। लगभग 15 हजार से अधिक आबादी वाले मुरादनगर के गांव सुराना में ज्यादातर छाबड़िया गोत्र के लोग निवास करते हैं।

महंत सीताराम शर्मा बताते हैं कि राजस्थान से आए पृथ्वीराज चौहान के वंशज छतर सिंह राणा द्वारा सुराना में अपना डेरा डाला गया था। छतर सिंह के पुत्र सूरजमल राणा के दो पुत्र विजेश सिंह राणा व सोहरण सिंह राणा थे। बताया जाता है कि साल 1106 में राखी के त्यौहार के दिन ही गांव पर मोहम्मद गोरी द्वारा हमला किया गया था, इस दौरान गोरी ने युवकों, महिला, बच्चों व बुजुगों को हाथी के पैर से कुचलवा कर उन्हें मौत के घाट उतरा दिया था। तबसे यहां पर राखी का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। लेकिन यदि इस दिन गांव में किसी महिला को पुत्र या गौमाता को बछड़े की प्राप्ति होती है तो वह परिवार त्यौहार मनाता है।

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