इसरो ने हायसिस व 30 विदेशी उपग्रह कक्षा में स्थापित किए, क्या होगा फायदा?

श्रीहरिकोटा। भारत ने गुरुवार को पृथ्वी पर पैनी निगाह रखने वाले उपग्रह हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रह (हायसिस) और आठ देशों के 30 छोटे उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया।

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इस प्रक्रिया में भारत ने 250 विदेशी उपग्रहों को लांच और कक्षा में स्थापित कर मील का पत्थर पार कर लिया है। भारत अब तक 269 विदेशी उपग्रहों को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित कर चुका है।

रॉकेट मिशन का उल्लेखनीय पहलू उपग्रहों को दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करना है, जिसमें से एक उपग्रह ऊपरी कक्षा और अन्य निचली कक्षा में स्थापित करना है।

रॉकेट के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, “एक बार फिर भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने अपनी उत्कृष्टता का परिचय दिया है। पीएसएलवी ने हायसिस और उसके बाद 30 विदेशी उपग्रहों को अपनी-अपनी कक्षा में स्थापित कर दिया है।”

उन्होंने कहा कि हायसिस एक अत्याधुनिक उपग्रह है। उपग्रह की मुख्य चीज ऑप्टिकल इमेजिंग चिप को इसरो के सेटेलाइट एप्लीकेशंस सेंटर (एसएसी) द्वारा डिजाइन और सेमी-कंडक्टर लेबोरेटरी द्वारा बनाया गया है। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह और वस्तुओं पर पैनी निगाह रखने में सक्षम है।

रणनीतिक/रक्षा उद्देश्य के लिए हायसिस के उपयोग के बारे में पूछे जाने पर सिवन ने कहा, “हमारा कर्तव्य वस्तु को स्पष्ट रूप से पहचानने वाला उपग्रह बनाना था। डेटा का उपयोग उपयोगकर्ताओं पर निर्भर है।”

हायसिस का प्राथमिक लक्ष्य विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के इंफ्रारेड और शॉर्ट वेव इंफ्रारेड फील्ड में पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है। इसके साथ ही इसके रणनीतिक उद्देश्य भी हैं।

सिवन ने यह भी बताया कि अगला मिशन पांच दिसंबर को फ्रेंच गुयाना से संचार उपग्रह जीसैट-11 का प्रक्षेपण होगा, जिसे भारतीय रॉकेट भू-समकालिक उपग्रह लॉन्च यान द्वारा छोड़ा जाएगा। इसके बाद जीसैट-7ए उपग्रह भी लांच किया जाएगा।

सिवन के अनुसार, 2019 में इसरो के मिशन में चंद्रयान-2 और माइक्रो, रीसैट व काटरेसैट उपग्रह शामिल हैं।

44.4 मीटर लंबे और 230 टन वजनी पीएसएलवी-सीए (कोर अलोन) संस्करण ने सुबह 9.58 बजे प्रक्षेपण स्थल से उड़ान भरी।

उड़ान के बाद 16 मिनट में रॉकेट के चौथे चरण को बंद कर दिया गया और इसके एक मिनट बाद ही पांच सालों की जीवन अवधि वाला भारतीय उपग्रह हायसिस निर्धारित कक्षा 636 किलोमीटर दूर ध्रुवीय सूर्य समन्वय कक्ष (एसएसओ) में स्थापित हो गया।

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इसके बाद रॉकेट को 30 अन्य विदेशी उपग्रहों को स्थापित करने के लिए 503 किलोमीटर की निचली कक्षा में लाया गया।

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हायसिस के प्रक्षेपण के बाद, उड़ान के 59.65 मिनट बाद रॉकेट के चौथे चरण को फिर से शुरू किया गया। पीएलएलवी रॉकेट अपने साथ 380 किलोग्राम वजनी हायसिस और आठ देशों के कुल 261 किलोग्राम के एक माइक्रो व 29 छोटे उपग्रह लेकर गया था।

रॉकेट की उड़ान के 112.79 मिनट में आखिरी विदेशी उपग्रह के कक्षा में स्थापित होने के बाद रॉकेट को बंद कर दिया गया। सभी उपग्रह 505 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित हो गए।

विदेशी उपग्रहों में से 23 अमेरिकी उपग्रह हैं और शेष ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड और स्पेन के हैं।

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