इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर अच्छी खबर इस बार 31 जुलाई नहीं बल्कि…

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा की गई 20 लाख करोड़ के पैकेज का आज विस्तार से ब्योरा देते हुए प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स) के मोर्चे पर कई कदमों की घोषणा की है। वित्त वर्ष 2019-20 (असेसमेंट ईयर 2020-21) के लिए पर्सनल इनकम टैक्स रिटर्न और अन्य रिटर्न की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गई है। इसके अलावा वेतन को छोड़ कर दूसरे प्रकार के भुगतान पर टीडीएस, टीसीएस की दर 31 मार्च 2021 तक 25 प्रतिशत कम की गई। इससे इकाइयों के हाथ में खर्च करने को 50,000 करोड़ रुपये की राशि आएगी।

इसके साथ ही कर विवादों के निपटान के लिए लाई गई ‘विवाद से विश्वास’ योजना का लाभ भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत लंबित विवादों के निपटारे की चाह रखने वाले करदाता अब 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अलग से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा। वित्त मंत्री ने एक अन्य घोषणा में कहा कि सभी धर्मार्थ न्यासों, गैर-कॉरपोरेट कारोबारों, पेशेवरों, एलएलपी फर्मों, भागीदारी फर्मों सहित को उनका लंबित रिफंड जल्द लौटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले सरकार पांच लाख रुपये तक के 18,000 करोड़ रुपए तक रिफंड करदाताओ को कर चुकी है। यह रिफंड 14 लाख करदाताओं को किया गया।

निर्मला सीतारमण ने बुधवार (13 मई) को स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के आह्वान का मतलब यह कतई नहीं हम दुनिया से कट जाएंगे। सीतारमण ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि निश्चित रूप से यह विश्वास से परिपूर्ण भारत की ताकत को दिखाता है। उन्होंने 15 हजार रुपये से कम मासिक सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को तीन महीने तक PF पर मिलने वाली राहत को बढ़ाकर 6 महीने तक के लिए कर दिया है। प्रधानमंत्री पहले ही घोषणा कर चुके थे कि ऐसे कर्मचारियों का तीन महीने का पीएफ का अंशदान (12 प्रतिशत नियोक्ता का और 12 प्रतिशत कर्मचारियों) का भुगतान EPFO को सरकार करेगी। इस स्कीम को अगस्त तक के लिए बढ़ाया गया है।

सरकार की इस ऐलान का फायदा सिर्फ उन्हीं कंपनियों को मिलेगा, जिनके पास 100 से कम कर्मचारी हैं और 90 फीसदी कर्मचारी की सैलरी 15,000 रुपये से कम है। 15 हजार से ज्यादा तनख्वाह पाने वालों के लिए पीएफ का योगदान 24 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। यानी कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को 12 प्रतिशत के बजाय 10-10 प्रतिशत अंशदान EPFO को देना होगा। हालांकि, केंद्रीय कर्मचारियों और सार्वजिनक उपक्रमों में काम करने वालों पर यह लागू नहीं होगा।

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