इतिहास में 7 दिसंबर दूसरे विश्वयुद्ध के लिए बेहद है खास, जानें क्या हुआ था?

दुनिया और देश के इतिहास 7 दिसंबर के दिन कई घटनाएं हुईं, जिनमें ये प्रमुख हैं.

1949: भारतीय सशस्‍त्र बल फ्लैग डे मनाया जाता है.

2001: तालिबान शासन ने कंधार का अपना गढ़ छोड़ दिया और इस तरह अफ़ग़ानिस्तान में 61 दिन की लड़ाई के अंत की शुरुआत हुई. अफ़ग़ानिस्तान के नए अंतरिम प्रशासन के प्रमुख हामिद करज़ई और तालेबान शासन के बीच हुए समझौते के आधार पर ही कट्टरपंथी तालेबान अपने धार्मिक गढ़ कंधार को छोड़ने के लिए तैयार हुए थे.

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1941: दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापानी वायुसेना ने हवाई के पर्ल हार्बर स्थित अमरीकी नौसैनिक अड्डे पर अचानक हमला कर दिया और ब्रिटेन और अमरीका के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी. जापानी बमवर्षक विमानों ने अमरीकी जंगी जहाज़ों, विमानों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था.

इसी बमबारी के साथ जापान ने अमेरिका और ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया. 7 दिसंबर की सुबह जापानी बमवर्षक विमानों ने पर्ल हार्बर पर कार्पेट बॉम्बिंग की. हमले को अंजाम देने के लिए जापान ने दो चरणों में अपने लड़ाकू विमानों, बमवर्षकों और अपने आप चलने वाली तॉरपीडो मिसाइलों का इस्तेमाल किया था. इनकी संख्या कुल 353 थी.

पहले चरण में उसके 183 लड़ाकू विमान ओहायो के उत्तर में मौजूद उसके युद्धपोतों से उड़े थे. दूसरे हमले में 171 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल हुआ था. हमले में आठ में से छह जंगी जहाज, तीन पनडुब्बी भेदी, 200 से ज्यादा लड़ाकू विमान नष्ट हो गए थे और 2400 से अधिक अमेरिकी सैनिक मारे गए.

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ये हमला अमेरिका के लिए बेहद चौंकाने वाला था क्योंकि उस वक्त वॉशिंगटन में जापानी प्रतिनिधियों की अमेरिकी विदेश मंत्री कॉर्डेल हल के साथ जापान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म करने को लेकर बातचीत चल रही थी.

दरअसल अमेरीका ने यह प्रतिबंध चीन में जापान के बढ़ते हस्तक्षेप के बाद लगाए थे. हमले के अगले ही दिन 8 दिसंबर 1941 को अमेरिका दूसरे विश्वयुद्ध में प्रत्यक्ष रूप से कूद पड़ा. उसने जापान के खिलाफ जंग का भी ऐलान कर दिया जिसका एक अंजाम हिरोशिमा नागासाकी पर एटम बम गिराने के रूप में निकला. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने हमले की तारीख 7 दिसंबर 1941 को “कलंक का दिन” कहा था.

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