इतिहास को जानने और समझने की रूचि रखते हैं तो एक बार यहां जरूर आएं

जिसे देखो बिहार ऐसा बिहार वैसा करता है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा कि बिहार आज भी अपनी प्राचीन और धरोहर के लिए क्यों जाना जाता है। यहां आज भी प्रचीन से जुड़े कई अवशेष मौजूद है जो हमेशा प्राचीन संस्कृति और सभ्यता की याद दिलाते हैं। बिहार नालंदा जैसे प्राचीन शिक्षण संस्थानों और विष्णुगुप्त जैसे बुद्धिजीवियों के लिए हमेशा जाना जाता रहा है। इस राज्य का प्राचीन नाम मगध था। जहां पर कभी राजा अशोक का शासन हुआ करता था। आज हम आपको इस राज्य के चंपारण स्थित एक प्राचीन स्मारक के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसका नाम है केसरिया स्तूप।

केसरिया स्तूप

बिहार के चंपारण जिले में केसरिया नाम का एक स्थान है जहां पर केसरिया स्तूप एक बहुत ही प्राचीन धरोहर है। यहां पर विश्व की सबसे बड़ी प्राचीन बौद्ध स्तूप है। जानकारी के अनुसार इस स्तूप को सम्राट अशोक ने बनवाया था। अगर आपको अपने देश के इतिहास में दिलचस्पी है तो आप यहां के इस स्तूप के बारे मेंऔर भी करीब से जानकारी हासिल कर सकते हैं। खुदाई के दौरान यहां प्राचीन काल की कई अन्य चीजों प्राप्त की गई हैं, जिनमें बद्ध की मूर्तियां, तांबे की वस्तुएं, इस्लामिक सिक्के आदि। इस प्राचीन स्थल को पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग की खोज 1958 में खोजा गया।

क्यों आएं केसरिया स्तूप

अगर आप इतिहास के प्रेमी है और प्राचीन स्थलों की सैर करना पसंद करते हैं तो आपको एक बार यहां जरूर आना चाहिए। बौद्ध धर्म में रूचि रखने वालों के लिए यह पर्यटन बहुत ही खास है। आप यहां पर अपने कई उद्देश्यों की पूर्ति भी कर सकते हैं। यहां पर आपको बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा स्तूप करीब से देखने का मौका मिलेगा। कुछ नया जानने वालों के लिए यह स्थान बहुत ही शानदार है।

आने का सही समय

केसरिया स्तूप को देखने का सबसे आदर्श समय अक्टूबर से लेकर फरवरी तक का है, इस दौरान यहां का मौसम अनुकून बना रहता है। हालांकि स्तूप को देखने के लिए सालभर इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों का आगमन लगा रहता है।

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