इको फ्रेंडली गणेश जी! पर्यावरण को बचाने के लिए महिलाएं कर रहीं ये काम

रिपोर्ट- भुपेन्द्र बरमण्डलिया

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश प्रतिमाओं से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बाद ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की मांग में इजाफा हुआ है। आज हम आपकों झाबुआ की महिलाओं के एक ऐसे गु्रप से मिलवाने वाले है जो बरसों से बच्चों को ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं बनाने का प्रशिक्षण देता आया है।

इस ग्रुप की मुस्लिम सदस्य भी पर्यावरण सरंक्षण के इस काम में अपना योगदान दे रही है जिले में काम करने वाली संकल्प गु्रप की महिलाओं ने पर्यावरण
सरंक्षण को लेकर मुहिम छेड़ रखी है। ग्रुप ने मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का अभियान शुरू किया है। संकल्प गु्रप की महिलाएं गणेश चतुर्थी से पहले बच्चों को मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनानेका प्रशिक्षण देती है।

संकल्प गु्रप की अध्यक्ष भारती सोनी ने इस मुहिम की शुरूआत की। करीब 10 सालों से गु्रप की महिलाएं इस मुहिम से जुड़ी हुई है। गु्रप ने मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं बनाने की बहुत ही सरल विधी इजादकी है.. जिससे महज 10 मिनट में मिट्टी की प्रतिमा तैयार हो जाती है। मिट्टी और लकड़ी के बुरादे से बनी इस प्रतिमा में कुछ बीज भी डाले जाते है।

ताकि घर पर ही विसर्जन के बाद उसमें पौधा आकार ले सके। संकल्प गु्रप ने पिछले वर्ष विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देकर 5 हजार मिट्टी की गणेश प्रतिमाएं तैयार की थी। इस बार गु्रप ने जिले की विभिन्न स्कूलों में यह प्रशिक्षण देकर करीब 10 हजार प्रतिमाएं बनाकर बांटने का लक्ष्य रखा है। पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में संकल्प ग्रुप के साथ कई मुस्लिम महिलाएं भी जुड़ी है। मिट्टी के गणेश की प्रतिमाएं बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाली महिलाओं में शबनम कादरी भी है.. जो मानती सपर्यावरण संरक्षण हर धर्म हर वर्ग की जिम्मेदारी है। ऐसे में मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं के माध्यम से पर्यावरण को सहेजने की मुहिम में शामिल होकर वे काफी खुश है।

ग्रुप की महिलाओं ने बच्चों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षणकी मुहिम छेड़ रखी है। ग्रुप की महिलाएं जिले के विभिन्न स्कूलों में जाकर
बच्चों को मिट्टी के गणेश बनाने का प्रशिक्षण देती है। मिट्टी की गणेशप्रतिमाएं बनाना सीख कर बच्चें खासे उत्साहित है और अपने साथ अन्य लोगोंको भी पर्यावरण संरक्षण के लिये दूसरों को प्रेरित करने की बात कह रहेहै।

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