शर्त लगा लीजिए… कितना भी दिल्ली घूमें होंगे लेकिन इंडिया गेट का पुराना नाम नहीं मालूम होगा

इंडिया गेट का पुराना नामजब भी कभी घूमने की बात होती है तो अक्सर दिल्ली का नाम आ जाता है. दिल्ली देश की राजधानी होने के साथ देश के लोगों का दिल भी है. दिल्ली की बात होते ही कई लोग घूमने के लिए कई जगहें सजेस्ट करने लगते हैं. वैसे दिल्ली में कई मशहूर जगहें हैं लेकिन एक ऐसी जगह है जहां हमेशा ही पर्यटकों की भीड़ होती है. यह दिल्ली का दिल इंडिया गेट है. यह एक युद्ध स्मारक है. ये तो सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं इंडिया गेट का नाम पहले यह नहीं था. इंडिया गेट का पुराना नाम जानकर हैरान हो जाएंगे.

यह ऐतिहासिक धरोहर इम्पीरियल वॉर ग्रेव कमीशन (IWGC) का भी एक भाग है, जिसकी स्थापना प्रथम विश्व युद्ध में मारे गये सैनिको के लिए की गई थी. इस गेट का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा किया गया था.

जब इंडिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी, जिसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया.

अब जार्ज पंचम की मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी है. यहां हर समय पर्यटकों की भीड़ रहती है लेकिन शाम के समय की बात ही निराली है. जगमगाती रोशनियों के बीच इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है.

इंडिया गेट से जुड़ी दिलचस्प बातें

इंडिया गेट दिल्ली के राजपथ पर स्थित है. राजपथ को आजादी से पहले किंग्सवे के नाम से जाना जाता था. यह करीबन 42 मीटर ऊँचा है. इस गेट पर भारत के प्रसिद्ध सैनिको का नाम लिखा हुआ है, जिन्होंने प्रथम युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. इस गेट पर 13300 अधिकारियों और सैनिकों के नाम लिखे हुए है.

यह दस साल में 1931 बनकर तैयार हुआ था. पेरिस के अर्क दी ट्रिओम्फे से प्रेरित होकर इस स्मारक का निर्माण किया गया था. इंडिया गेट को एडविन लुटएंस ने आर्किटेक्ट किया था.

इंडिया गेट में प्रसिद्ध अमर जवान ज्योति भी है, जो 24×7 जलती रहती है. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे जलाया था. भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री इंडिया गेट को देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलो में से एक मानते है. इंडिया गेट का महत्व हर हिन्दुस्तानी जानता है.

 

 

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