इंडिक की इंटरनेट पर वैश्विक मंजूरी के लिए अभियान शुरू

नई दिल्ली। इंटरनेट पर स्थानीय भाषा को बड़े पैमाने पर प्रचारित करने के लिए इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने यूनिवर्सल एक्सेप्टेंस (यूए) की जरूरत के बारे में जागरूकता फैलाने के मकसद से एक वर्षीय जागरूकता अभियान शुरू किया है।

इंडिक की इंटरनेट पर वैश्विक मंजूरी के लिए अभियान शुरू

बहुभाषी इंटरनेट के लिए ‘यूए’ मूलभूत आवश्यकता है, जिसमें दुनियाभर के यूजर्स अपनी पसंद की भाषा में पूरी तरह से नेविगेट कर सकते हैं। साथ ही यह नए जेनरिक टॉप-लेवल डोमेन (जीटीएलडीएस) की क्षमता को अनलॉक करने के लिए भी प्रमुख है। प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, ग्राहकों को विकल्प देने और डोमेन नेम इंडस्ट्री में नवाचार के लिए यह जरूरी है।

यूए का अनुपालन करने के लिए, इंटरनेट एप्लीकेशन और सिस्टम को सभी टॉप लेवल डोमेन (टीएलडी) को लगातार क्रम में रखना होगा। उसके अंतर्गत नया जीटीएलडीएस और अंतर्राष्ट्रीयकृत टीएलडीएस शामिल है। खासतौर से उन्हें सभी डोमेन नेम को स्वीकार करना होगा, सत्यापित, स्टोर, प्रोसेस और डिस्प्ले करना होगा। यूए सारे तकनीकी बंधनों को तोड़ने का एक कॉन्सेप्ट है, जिससे यूजर्स को किसी भी वेब ब्राउजर, ईमेल क्लाइंट या उससे जुड़े अन्य इंटरनेट डिवाइस को किसी टॉप-लेवल डोमेन में किसी यूआरएल/वेबसाइट को एक्सेस करने में परेशानी आ सकती है।

इस अभियान को आगे लोकप्रियता मिलेगी, क्योंकि स्थानीय भाषा के कंटेंट के इंटरनेट पर होने से मौजूदा इंटरनेट यूजर्स की संख्या में 39 प्रतिशत की वृद्धि होगी, यदि इसे स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराया जाए तो 66 करोड़ नए लोग इसका इस्तेमाल करेंगे।

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अंग्रेजी के अलावा, इंटरनेट पर सबसे बड़े पैमाने पर प्रयोग की जाने वाली भाषा मंडारिन है। पूरी दुनिया के कुल वेब कंटेंट में अंग्रेजी 59 प्रतिशत और मंडारिन इस सूची में दूसरे स्थान पर आता है। बदकिस्मती से इंटरनेट पर इंडिक कंटेंट 0.1 प्रतिशत से भी कम है।

विज्ञप्ति के अनुसार, अभियान के हिस्से के रूप में आईएएमएआई द्वारा भारत के विभिन्न शहरों में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।

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