आ गया समय, जिसने दिया था गुरु ज्ञान, अब मोदी देंगे उसे सबसे बड़ा ईनाम

 

नरेंद्र मोदी नई दिल्‍ली। मोदी राज्‍यों में प्रचंड बहुमत के बाद अब राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। इसी साल जून में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए 8 मार्च को सोमनाथ में एक बैठक बुलाई गई थी। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा लाल कृष्ण अआडवाणी को भी बुलाया गया था। चर्चा के दौरान संकेत मिला कि लाल कृष्ण आडवाणी को गुरु दक्षिणा के तौर पर राष्ट्रपति बनाया जा सकता है।

आठ मार्च को हुई इस बैठक में पांच राज्‍यों के परिणामों का खुलासा नहीं हुआ था। लेकिन  अब जब पांचों राज्यों के नतीजे आ गए हैं तो भाजपा आडवाणी के नाम पर मुहर लगा सकती है। बीजेपी सूत्रों ने बताया कि सोमनाथ में हुई बैठक में मोदी और आडवाणी के अलावा केशुभाई पटेल भी मौजूद थे।

उसी दौरान मोदी ने संकेत दिया था कि अगर उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे बीजेपी के मन मुताबिक हुए,  तो वे अपने गुरु आडवाणी को राष्ट्रपति पद पर देखना चाहेंगे। सोमनाथ में आडवाणी की मुलाकात कई मायनों में महत्‍वपूर्ण है।

मालूम हो कि 1990 में आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा शुरू की थी,  तब उन्होंने अपने सारथी के रूप में मोदी को प्रोजेक्ट किया था। यहीं से मोदी के राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई थी। गुजरात में सीएम बनाने में भी आडवाणी का बड़ा योगदान रहा है। 2002 के गुजरात दंगों को लेकर जब अटल बिहारी वाजपेयी नाराज हुए थे, तो उस वक्त भी आडवाणी ने मोदी का बचाव किया था।

दोनों के बीच दूरियां तब बढ़ी जब 2014 के आम चुनाव में नरेंद्रमोदी को पीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया गया। उस वक्त आडवाणी ने काफी विरोध किया था। लेकिन मोदी चुनाव में जीत गए और पीएम बन गए। इसके बाद आडवाणी ने अवने आप को पार्टी से अलग करके मौन धारण कर लिया। इस दौरान मीडिया में कई तरह की खबरें आई।

माना जा रहा है कि उसी समय से दोनों दिग्‍गज नेताओं के बीच एक लक्ष्‍मण रेखा सी खिंच गई थी। लेकिन जैसे ही यूपी, उत्तराखंड में भाजपा को बहुमत मिली तो आडवाणी के रूख में नरमी साफ नजर आने लगी।

बता दें कि 1990 में आडवाणी ने सोमनाथ की रथयात्रा शुरू की थी,  तब नरेंद्रमोदी 3 दिन पहले ही सोमनाथ पहुंच गए थे। उस वक्त वे आडवाणी के सारथी की भूमिका में थे। पर अब वक्त बदल गया है। 8 मार्च को नरेंद्रमोदी सोमनाथ पहुंचे,  उससे पहले ही 7 मार्च को आडवाणी सोमनाथ पहुंच चुके थे।

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