आर्थिक व्यवस्था की समस्या को लेकर रघुराम राजन ने सरकार को दी जबरदस्त सलाह…

भारत का सबसे बड़ा बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश की आर्थिक व्यवस्था में आई सुस्ती के कारण चिंता जाहिर की हैं. बतादें की रघुराम राजन का कहना हैं की ऊर्जा सेक्टर की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार को तत्काल प्रयास करने चाहिए.

 

बतादें की एक इंटरव्‍यू के दौरान रघुराम राजन ने कहा, ‘ देश में आर्थिक सुस्ती निश्चित रूप से बहुत चिंताजनक है. हर तरफ कंपनियां चिंतित हैं और जोर-शोर से कह रही हैं कि उन्हें कुछ न कुछ प्रोत्साहन दिया जाए.’ रघुराम राजन ने निजी निवेश के प्रोत्‍साहन पर जोर दिया. उन्‍होंने कहा कि इसके लिए सरकार को नए कदम उठाने चाहिए.

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आरबीआई के 2013-16 तक गवर्नर रहे रघुराम राजन ने जीडीपी ग्रोथ के आंकड़ों को लेकर भी चिंता जाहिर की है. राजन ने कहा कि निजी क्षेत्र के विश्लेषकों की ओर से जीडीपी ग्रोथ को लेकर कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं, जिनमें से कई संभवतः सरकार के अनुमान से काफी नीचे हैं. यहां बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार 6.8 फीसदी पर रह गई, जो 2014-15 के बाद से सबसे कम है. अलग-अलग निजी विशेषज्ञों और केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि इस साल जीडीपी वृद्धि 7 फीसदी के सरकारी अनुमान से कम रहेगी.

जहां इसके साथ ही राजन ने भारत में जीडीपी के कैलकुलेशन के पैमानों को बदलने का भी सुझाव दिया है. इसके लिए उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यम के शोध निबंध का हवाला दिया. इस रिसर्च पेपर में कहा गया है कि देश की इकॉनमिक ग्रोथ को बढ़ा-चढ़ाकर आंका गया है.

दरअसल रघुराम राजन ने 2008 के आर्थिक संकट जैसी स्थिति को लेकर कहा कि वह इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकते. लेकिन इस बार अगर यह आई तो अलग सोर्स से आएगी. बता दें कि 2008 का वित्तीय संकट हाउसिंग लोन के बोझ से चरमराए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं की वजह से आए थे. वहीं वर्तमान दौर में ऑटो सेक्‍टर की खराब हालत आर्थिक सुस्‍ती की वजह बताई जा रही है.

 

 

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