इस बार एक लाख साल बाद गल जाएगा आर्कटिक

आर्कटिकआर्कटिक में जमी बर्फ इस वर्ष सितंबर या अगले साल खत्म हो सकती है। एक लाख साल में ऐसा पहली बार होगा। आर्कटिक के लगभग 11.1 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में इस साल बर्फ तेजी से पिघल रही है।  2016 में बर्फ पिघलने की रफ्तार पिछले 30 की तुलना में सबसे ज्यादा है। यही वजह है कि अमेरिकी स्नो एंड आइस डेटा सेंटर ने एक जून तक के आंकड़े और तस्वीरें जारी कर यह अंदेशा जताया है।

आर्कटिक की बर्फ

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ध्रुवीय  भौतिकी समूह के प्रमुख प्रोफेसर पीटर वादहम्स ने कहा कि वह इसकी भविष्यवाणी चार साल पहले ही कर चुके थे। उन्होंने कहा था कि इस साल सितंबर तक और एक लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से भी बर्फ पिघल सकती है। यहां पिछले 30 सालों में  लगभग 12.7 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से बर्फ पिघल चुकी है। जिस क्षेत्र से बर्फ गायब हो चुकी है, वह आकार में इतना बड़ा है कि उसमें छह यूनाटेड किंगडम समा सकते हैं।

यह एक तीव्र चेतावनी है। जिसका संबंध बौम चक्रवात से बताया जा रहा है।  बौम चक्रवात और बाढ़  दुनिया में बड़ रहे ताप के साथ-साथ ब्रिटेन व संयुक्त राज्य अमेरिका में  मौसम की घटनाओं को इसके साथ जोड़ा गया है। यह समुद्र से पहले की तुलना में काफी गर्म रहने लगा है और हर साल अधिक से अधिक गर्म होता जा रहा है।

आर्कटिक से बर्फ पिघलने का मतलब यह हुआ कि असंख्य द्वीप खत्म हो जाएंगे। पिछली बार आर्कटिक से बर्फ गायब होने का अनुमान लगभग 1 लाख से 12 लाख साल तक माना जा रहा था।

 

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