राम मंदिर निर्माण पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दिया ऐसा बयान कि…
नई दिल्ली। कुंभनगरी प्रयागराज में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि एक कार सेवा से राम मंदिर निर्माण नहीं होगा। दम है तो कारसेवा करो।
अगर दम नहीं है तो सम्मानजनक तरीके से वापस जा सकते हैं। संघ मंदिर के लिए ताकत देगा। अयोध्या में सिर्फ भव्य राम मंदिर बनेगा। इस कार्यक्रम के दौरान लोगों ने तारीख बताइए भागवतजी के नारे लगाए। इसके बाद आयोजकों और आम जनता के बीच हाथापाई हुई। इस मौके पर नाराज लोगों ने जमकर हंगामा किया।
मोहन भागवत ने कहा कि हमारी मांग है कि रामजन्मभूमि स्थल पर एक भव्य राम मंदिर बनाया जाए। यह देखना सरकार के लिए है कि वे यह कैसे सुनिश्चित करते हैं। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें भगवान राम का आशीर्वाद मिलेगा। हम सहमत हैं कि राम मंदिर पर सरकार की मंशा स्पष्ट है। मंदिर निर्माण शुरू होगा।
मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर बनने के साथ-साथ हमें यह भी देखना चाहिए कि मंदिर कौन बनाएगा और मंदिर केवल वोटरों को खुश करने के लिए नहीं बनाएंगे। राजनीतिक उठापटक कुछ भी हो। जनता का मन है कि राम मंदिर बनेगा। तो बनेगा ही बनेगा। तीन-चार महीने में निर्णय हो गया तो हो गया, वरना चार महीने बाद बनना शुरू हो जाएगा। सरकार ने कोर्ट में जाकर अपनी मंशा साफ की।
इस दौरान लोग तारीख तो बताइए का नारा लगाने लगे। आयोजकों ने पहले नारा लगा रहे लोगों को चुप कराने की कोशिश की, लेकिन मामला हाथापाई तक पहुंच गया। लोग बार-बार बोल रहे थे कि राम मंदिर कब बनेगा, इसकी तारीख बताइए भागवतजी।
इससे पहले गुरुवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा था कि पिछले कुछ सालों में देखने में आया है कि हिंदू परंपराओं के प्रति अविश्वास निर्माण का कुप्रयास किया जा रहा है। हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाने की साजिश चल रही है।
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केरल की वामपंथी सरकार, न्यायपालिका के आदेशों के परे जा रही है। हम हिंदू समाज के इस आंदोलन का समर्थन करते हैं। हिंदू संगठनों ने आंदोलन नहीं छेड़ा है बल्कि समाज ने छेड़ा है। धर्म संसद के पहले दिन मोहन भागवत ने राम मंदिर को लेकर कोई बयान नहीं दिया था। धर्म संसद के पहले दिन जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के लिए हम चिंतित हैं, लेकिन इस सरकार ने भूमि को न्यास को देने की बात तो की। हमें इस सरकार पर संदेह नहीं है।
वहीं, शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की परम धर्म संसद में एक धर्मादेश पारित किया गया था, इसके तहत 21 फरवरी को अयोध्या में मंदिर के शिलान्यास का ऐलान कर दिया गया था।