आम चुनाव का सबसे बड़ा चुनावी नारा, जानें किन पांच राज्यों के पास होगी लोकसभा की चाभी

दिल्ली.देश में आम चुनाव में किसानों का कर्ज माफ करने का मुद्दा एक बड़ा चुनावी नारा होगा। यह नारा वास्तविक तौर पर लागू हो पाएगा या नहीं यह तो वक्त बताएगा, लेकिन इसका आसार दिखा तो आगामी आम चुनाव में उन पांच राज्यों से सरकार की चाभी खुल सकती है जहां 50 फीसद किसानों पर कर्ज है और 40 फीसद लोकसभा सीटें यहीं से आती हैं।

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आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में लोकसभा की 220 सीटें हैं किसान कर्ज का 49 फीसद हिस्सा यहीं है। हालांकि इन पांचों राज्यों राजनीतिक दलों का स्वरूप और रुख कुछ ऐसा है कि यह कहना मुश्किल है कि उंट किस करवट बैठेगा। कुछ राज्यों में तो लड़ाई ही ऐसे दलों के बीच है जो लगभग एक जैसे मुद्दे पर ही मैदान में उतरेंगे। वहीं उनके वोटर साफ तौर पर बंटे हुए होते हैं। फिर भी किसान कर्ज माफी को लेकर जिस तरह हर दल में सुगबुगाहट बढ़ने लगी है उससे यह साफ होने लगा है कि इस मुद्दे के प्रभाव को लेकर हर कोई आशंकित है।

आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में तो खैर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए कोई बड़ा स्थान नहीं है और वह गठबंधन साथियों का हाथ पकड़कर ही अपना पैर जमाएंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पिछले चुनावों में भाजपा ने बड़ा अंदर बनाया था। इन पांच राज्यों की 220 सीटों में से भाजपा ने 114 पर कब्जा किया था, लेकिन एक दूसरा तथ्य यह है कि वर्ष 2008 में यूपीए की तरफ से किसानों के कर्ज माफ होने के बाद इन पांचों राज्यों में कांग्रेस 85 सीटें जीतने में मदद की थी जिसकी वजह से वह दोबारा सत्ता में वापिस हुई थी।

कृषि कर्ज माफी पर चल रही राजनीतिक बहस में अब सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग भी कूद पड़ा है। आयोग का कहना है कि कर्ज माफी से महज कुछ ही किसानों को लाभ होगा और इससे कृषि संकट का कोई हल नहीं निकलेगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बुधवार को यहां ‘स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया एट 75’ जारी करने बाद कहा कि कृषि कर्ज माफी कृषि संकट का हल नहीं है।

यह एक समाधान नहीं बल्कि समस्या के लक्षण कम करने वाला उपाय है। कुमार ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी सरकार से किसानों के कर्ज माफ करने की मांग की है। गांधी ने इस बात का संकेत भी दिया है कि कांग्रेस पार्टी आगामी चुनाव में कृषि कर्ज माफी को बड़ा मुद्दा बना सकती है। नीति आयोग के सदस्य और कृषि मामलों के विशेषज्ञ रमेश चंद का कहना है कि कर्ज माफी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे मात्र कुछ ही किसानों को फायदा होता है।


चंद ने कहा कि गरीब राज्यों में मात्र 10 से 15 प्रतिशत किसानों को ही कृषि कर्ज माफी का फायदा हुआ क्योंकि इन राज्यों में कुछ ही किसान संस्थागत कर्ज हासिल कर पाते हैं। कई राज्यों में 25 प्रतिशत किसान भी संस्थागत कर्ज प्राप्त नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि जब अलग-अलग राज्यों में संस्थागत कर्ज लेने वाले किसानों के अनुपात में इतना अंतर है तो कृषि कर्ज माफी पर इतनी धनराशि खर्च करने का सार्थक नहीं है।चंद ने कहा कि कैग रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कृषि कर्ज माफी से फायदा नहीं होता।

इसलिए कर्ज माफी कृषि संकट को हल करने का समाधान नहीं है। कुमार और चंद ने यह भी कहा कि आयोग कृषि मंत्रालय को यह सुझाव देगा कि राज्यों को दी जाने वाली धनराशि को प्रदेशों द्वारा कृषि क्षेत्र में किए जाने वाले सुधारों से लिंक कर दिया जाए।

आज का पंचांग, 20 दिसम्बर 2018, दिन- गुरुवार

उक्त पांच में से तीन राज्य -आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में किसानों की समस्या अभी सबसे ज्यादा गंभीर मानी जा रही है। आंध्र प्रदेश में विधान सभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होंगे। आंध्र प्रदेश के अलावा ओडिशा, सिक्किम व अरुणाचल प्रदेश के विधान सभा चुनाव भी लोकसभा के साथ होने हैं। ओडिशा में भाजपा नेतृत्व की ओर से किसानों का कर्ज माफ करने की मांग की गई है। जाहिर है कि वहां विधानसभा में भाजपा की ओर से इसका ऐलान भी किया जाएगा।

 

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