
वर्ल्डकप का आठवां मैच. और शुक्र है ये भारत का है. वरना जनता तो खिसियाए बैठी थी कि एक तरफ साउथ अफ्रीका तीसरा मैच खेल रही. और यहां खाता नहीं खुल रहा.
टॉस जीत पहले बैटिंग करने का फैसला किया साउथ अफ्रीका ने. न जाने क्या सोच कर. 89 रन पर 5 विकेट हो गए. पहले बुमराह ने दो झटके दिए. अमला और डि कॉक को निपटाया. फिर चहल ने सेट हो गए डू प्लेसी और वेन डर डुसेन को चलता किया.
मगर फिर साउथ अफ्रीका के पिछलग्गू बल्लेबाज टिकने लगे. फेलुकवायो और मोरिस. फेलुकवायो तो चौके-छक्के भी मार रहे थे. 89 पर 5 से स्कोर 150 पार कर गया था. मगर एक बार फिर काम आए चाहल. 34 पर खेल रहे फेलुकवायो को स्टंपिंग आउट करवाया.
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स्टंपिंग की धोनी ने. पर एक सेकंड के लिए धोनी ने भी जान सुखा दी थी. लगा था कि वो गेंद छोड़ देंगे. स्टंपिंग गई. माने जैसे ही गेंद उनके ग्लव्स तक पहुंची तो वो उसे लगभग छोड़ ही दिए थे. पर सेकेंडों में ही धोनी ने अपनी गलती सुधारी और स्टंपिंग की.
वैसे भी इस मैच की शुरुआत में धोनी एक रनआउट का मौका छोड़ चुके थे. और जिस मौके पर फेलुकवायो का विकेट आया, वहां वो गलती करते तो जनता थोड़ा तो गुस्सा पक्का होती.
पर कुछ भी हो, टीम इंडिया की एक आदत से बड़ा मूड खराब होता है. अपने बॉलर शुरुआती विकेट तो धड़ाधड़ गिरा लेंगे, मगर आखिरी के तीन चार विकेट गिराने में इन्हें नानी याद आ जाती है. यही वजह है कि जो साउथ अफ्रीका 150 पार करती नहीं दिख रही थी, वो 227 रन बना ली.