आज का सुविचार : सुख में नहीं दुख में होती है रिश्तों की पहचान, मनुष्य को हर स्थिति में रहना चाहिए तैयार

सुख के सभी साथी होते हैं लेकिन दुख का कोई भी साथी नहीं होता है। आपके आसपास भी कई लोग मौजूद होंगे जो आपसे वाकई में प्रेम और स्नेह करते हैं। लेकिन कुछ लोग वह भी होंगे जो दिखावा भी करते होंगे। आचार्य चाणक्य ने इस बारे में लिखा है। उनके द्वारा रचित चाणक्य नीति की लोकप्रियता आज भी कायम है।

आचार्य चाणक्य का कहना है कि पत्नी, नौकरी और पत्नी की पहचान संकट के समय होती है। संकट के समय जो आपके साथ परछाई की तरह खड़ा है चुनौतियों का सामना करने के लिए आपको प्रोत्साहित करें और संकट को दूर करने में आपका सहयोग कर वह ही आपका पक्का और सच्चा रिश्ता होता है।

विद्वानों का मानना है कि जो व्यक्ति संकट के समय आपका साथ न छोड़े, ऐसे रिश्तों का सदैव आदर और सम्मान करना चाहिए। यह रिश्ते उपहार की तरह होते हैं। जीवन में ये अनमोल होते है और इनका कोई मोल नहीं होता है। इन्हें कभी भी कमजोर नहीं होना चाहिए।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को कभी भी अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए। जो लोग धैर्य खो देते हैं, थोड़ी सी दिक्कत या परेशानी आने पर निराश और हताश हो जाते हैं, ऐसे लोगों के लिए जीवन सफलता नहीं है। सफलता उसी व्यक्ति को मिलती है जो विपरीत परिस्थितियों में भी संयम बनाए रखता है, अपने लक्ष्य से नहीं हटा है। ऐसे व्यक्ति को सफलता जरूर ही नसीब होती है।

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