आज का सुविचार: बुरे लोगों के साथ क्या करना चाहिए, जानें चाणक्य की अद्भुत विचार

आचार्य चाणक्य बहुत गुणवान और विद्वान थे। वह शिक्षक होने के साथ ही एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे। अपनी कुशलता को प्रबल करने के लिए चाणक्य ने पूरी निष्ठा से गहन अध्ययन किया था। चाणक्य ने अपने कौशल और बुद्धि के बल से जीवन में सफलता प्राप्त करने की कई नीतियां बनाई थीं। चाणक्य द्वारा बनाई गई उन सभी नीतियों का संग्रह चाणक्य नीति शास्त्र में है। आज हम उन्हीं नीतियों में से कुछ नीतियां आपको बताने जा रहे हैं, जिससे आपके विचारों में बदलाव होने के साथ ही आपके दैनिक जीवन में भी सुधार हो जाएगा। साथ ही आज आप जानेंगे कि बुरे लोगों के साथ हमें क्या करना चाहिए।

आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के सुविचार-

  • वह चीज जो दूर दिखाई देती है, जो असंभव दिखाई देती है, जो हमारी पहुच से बहार दिखाई देती है। वह भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम तप करते हैं क्योंकि तप से ऊपर कुछ नहीं।
  • साप के दंश में विष होता है, कीड़े के मुह में विष होता है, बिच्छू के डंख में विष होता है। लेकिन दुष्ट व्यक्ति तो पूर्ण रूप से विष से भरा होता है।
  • जब आदमी में शक्ति नहीं रह जाती वह साधू हो जाता है। जिसके पास दौलत नहीं होती वह ब्रह्मचारी बन जाता है। रुग्ण भगवान् का भक्त हो जाता है। जब औरत बूढी होती है तो पति के प्रति समर्पित हो जाती है।
  • समुद्र ही सभी रत्नों का भण्डार है, वह शंख का पिता है, देवी लक्ष्मी शंख की बहन है। लेकिन दर दर पर भीख मांगने वाले हाथ में शंख ले कर घूमते है। इससे यह बात सिद्ध होती है की उसी को मिलेगा जिसने पहले दिया है।
  • चाणक्य ने बताया कि जिस तरह दुसरो से जो मदद प्राप्त हुई है हमें उसे हमें लौटना चाहिए। उसी प्रकार यदि किसी ने हमसे यदि दुष्टता की है तो हमें भी उससे दुष्टता करनी चाहिए, ऐसा करने में कोई पाप नहीं है।
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