आखिर क्यों अखिलेश यादव ने चुनी करहल सीट, क्या है सपा से इसका रिश्ता ?

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव अब दहलीज पर है। जल्द ही पहले चरण का मतदान होने वाला है। इसी बीच समाजवादी पार्टी से खबर आई की अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाएंगे। समाजवदी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सपा के गढ़ मैनपुरी के करहल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने इसकी घोषणा की। आजमगढ़ से सांसद अखिलेश ने बुधवार को कहा था कि वे अपने संसदीय क्षेत्र की जनता से पूछकर यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ने का फैसला करेंगे।

मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव है

ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने खुद चुनाव लड़ने के लिए करहल सीट को चुनकर पश्चिमी और मध्य यूपी की सीटों पर पकड़ बनाए रखने की रणनीति अपनाई है। उनके लिए यह सीट सियासी समीकरण के लिहाज से काफी सुरक्षित भी है। यहां के गांवों से सैफई परिवार का गहरा नाता रहा है। वहीं, सपा का कहना है कि भावनात्मक कारणों से अखिलेश ने यह सीट चुनी है क्योंकि यह समाजवादियों का मजबूत किला है और उनके पिता मुलायम सिंह यादव का पुराना गढ़ है। सैफई यहां कुछ ही दूरी पर है, जो मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव है।

आइए जानते हैं सपा का करहल से क्या है रिश्ता

दरअसल, करहल विधानसभा क्षेत्र को समाजवादियों का गढ़ माना जाता है। 1957 में करहल को सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र बनाया गया। 1974 में करहल सामान्य विधानसभा क्षेत्र घोषित किया गया। 1995 में करहल सीट से सपा ने पहली बार बाबूराम यादव को चुनाव में उतारा था। जिसमें उन्हें लगातार तीन बार जीत मिली और वह विधायक चुने गए। वहीं, 2002 में भाजपा के सोबरन सिंह यादव चुनाव जीते। 2007 से लेकर अब तक तीन बार सपा की टिकट पर सोबरन सिंह यादव ही चुनाव जीते हैं।

बता दें कि करहल सीट पर 1957 से अब तक यहां सिर्फ एक बार 2002 में भाजपा जीती है। 1980 में यह सीट एक बार कांग्रेस के खाते में भी गई है। 1957 के पहले चुनाव में यहां प्रजा सोशलिस्ट पार्टी जीती थी। उस समय यहां दो सीटें हुआ करती थीं। वर्ष 1985 में दलित मजदूर किसान पार्टी के बाबूराम यादव जीते। इसके बाद 1989 और 1991 में समाजवादी जनता पार्टी और 1993 एवं 1996 में सपा के टिकट पर बाबूराम यादव विधायक चुने गए।

बता दें कि मैनपुरी में कुल चार विधानसभा सीटें हैं, इसमें मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल शामिल हैं। वर्तमान में भोगांव को छोड़कर तीन पर सपा का कब्जा हैं। वहीं भोगांव सीट भाजपा के हाथ में हैं। हालांकि, इससे पहले ये सीट लगातार पांच बार सपा के खाते में रह चुकी है। एक बार फिर सपा के पास मौका है भोगांव सीट पर भी कब्जा करने का।

करहल विधानसभा सीट पर अभी सपा के सोबरन सिंह यादव विधायक हैं। उन्होंने 2017 के चुनाव में भाजपा के रमा शाक्य को करीब 38 हजार मतों से हराकर इस सीट कब्जा किया था। यहां के करीब साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाताओं में 40 फीसदी से ज्यादा यादव हैं। करीब आठ से 10 गांवों में मुस्लिमों की बहुलता है। शाक्य, लोधी, ब्राह्मण, ठाकुर और अनुसूचित जाति के मतदाता हैं।

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