आईएनएक्स मीडिया मीडिया मामले में पी चिदंबरम अपने ही जवाब में फंसे!

नई दिल्ली। आईएनएक्स मीडिया मीडिया मामले पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से सीबीआई लगातार पूछताछ कर रही है। पी.चिदंबरम और उनके बेटे पर आरोप लगा है कि विदेशी निवेश के नियमों में ढील करवाकर भारी हेर फेर किया था।

सीबीआई चिदंबरम से आईएनएक्स मीडिया को मिले एफआईपीबी अप्रूवल के बारे में पूछताछ कर रही है। जानकारी के मुताबिक पी चिदंबरम ने इसका जिम्मेदार एफआईपीवी बोर्ड को बता दिया है।

सूत्रों के मुताबिक उन्होंने 7 आईएएस के नाम लिए हैं जो इस बोर्ड का हिस्सा हुआ करते थे। इसमें पूर्व डीईए सचिव और आरबीआई के गवर्नर डी सुब्बाराव का नाम भी शामिल है। चिदंबरम ने कहा है कि इस ये सभी आईएएस इसी एफआईपीबी बोर्ड का हिस्सा थे। इन की सहमति के बाद ही वे अंतिम स्वीकृति देते थे।

मगर यहीं सबसे बड़ा पेच है क्योंकि एफआईपीबी बोर्ड के अधिकारी पहले ही ईडी के सामने अपना बयान दर्ज करवा चुके हैं। इस बयान में उन्होंने इस बात का खुलासा किया कि किस तरह से बोर्ड को अंधेरे में रखकर चिदंबरम ने मनमाने फैसले किए। यह फैसले पूरी तरह से नियम कानूनों को ताक पर रखकर लिए गए।

तत्कालीन डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स सेक्रेटरी डी सुब्बाराव ने ईडी के सामने लिखित बयान में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया है। वे उस कार्यकाल में एफआईपीबी बोर्ड के एक्स ऑफीशियो चेयरमैन थे।

सुब्बाराव ने बताया की आईएनएक्स मीडिया में डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट की जानकारी बोर्ड को नहीं दी गई थी। बोर्ड के सामने जो कागजात लाए गए, उसमें कोई भी अनियमितता नहीं थी। उधर एफआईपीबी यूनिट के तत्कालीन इंचार्ज दीपक कुमार सिंह ने भी इस बात का खुलासा किया कि आईएनएक्स मीडिया ने डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट के लिए इजाजत नहीं ली थी।

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ऐसे में सवाल यही खड़ा होता है कि 4.62 करोड़ के स्वीकृत विदेशी निवेश की जगह आईएनएक्स मीडिया में 305 करोड़ का निवेश कैसे आ गया? चिदंबरम इसी सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

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