अमेरिकी यूनिवर्सिटी ने 25 भारतीय स्‍टूडेंट्स को निकाला

अमेरिकी यूनिवर्सिटीवाशिंगटन।  एक अमेरिकी यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के पहले सेमेस्टर के कम से कम 25 भारतीय विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय छोड़कर भारत लौटने या अन्य विद्यालयों में जाने के लिए कहा गया है, क्योंकि वे विश्वविद्यालय के प्रवेश मानकों पर खरे नहीं उतरे हैं। समाचार पत्र ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ में यह रिपोर्ट मंगलवार को तब प्रकाशित हुई है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं।

अमेरिकी यूनिवर्सिटी के मानक पर खरे नहीं उतरे छात्र

लगभग 60 भारतीय विद्यार्थियों ने इस साल जनवरी में इस पाठ्यक्रम के लिए नामांकन कराया था। इसके लिए विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय भर्तीकर्ताओं की मदद ली थी।

वेस्टर्न केंटकी के कंप्यूटर साइंस प्रोग्राम के अध्यक्ष जेम्स गैरी ने अखबार को बताया कि करीब 40 विद्यार्थी प्रवेश मानकों पर खरे नहीं उतरे, हालांकि विश्वविद्यालय ने उन्हें मदद दी थी।

समाचार पत्र के मुताबिक, इसका अर्थ यह है कि 35 विद्यार्थियों को पढ़ाई जारी रखने दिया जाएगा, जबकि 25 विद्यार्थियों को हर हाल में विश्वविद्यालय छोड़कर जाना पड़ेगा।

गैरी ने कहा कि उन्हें पढ़ाई जारी रखने दिया जाना ‘धन की बर्बादी’ होगी, क्योंकि वे कंप्यूटर प्रोग्राम लिखने में सक्षम नहीं है, जो कि पाठ्यक्रम का एक जरूरी हिस्सा है।

गैरी ने कहा, “अगर वे यहां से प्रोग्राम लिखने की योग्यता के बगर बाहर निकलेंगे तो यह मेरे विभाग के लिए शर्मनाक होगा।”

भर्ती करने वालों द्वारा भारत में ‘तत्काल दाखिला’ और फीस में छूट का विज्ञापन देने के बाद विद्यार्थियों को दाखिला दिया गया था।

समाचार पत्र ने कहा कि यूनिवर्सिटी सीनेट ने दाखिला अभियान के बारे में चिंता जाहिर करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया है।

विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा है कि उसने भारत के लिए अपनी अंतर्राष्ट्रीय भर्ती प्रक्रिया में फेरबदल किया है। भविष्य में विद्यार्थियों को दाखिला देने से पूर्व कंप्यूटर विज्ञान विभाग के सदस्यों को भारत में विद्यार्थियों से मिलने के लिए भेजा जाएगा।

वेस्टर्न केंटकी यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्र संघ के अध्यक्ष आदित्य शर्मा ने इस मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे इन विद्यार्थियों के लिए बुरा लग रहा है। वे इतनी दूर आए हैं और उन्होंने इसमें धन लगाया है।”

लेकिन, उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ विद्यार्थियों ने अपनी पढ़ाई के प्रति ‘ढीला रवैया’ रखा था।

उन्होंने कहा, “वे अपने जीपीए (ग्रेड प्वॉइंट औसत) को पूरा नहीं कर पाए, इसलिए अमेरिकी यूनिवर्सिटी को यह कदम उठाना पड़ा।”

यह पहली बार नहीं है, जब भारतीय छात्रों को अमेरिका में समस्याओं का सामना करना पड़ा हो।

अप्रैल में 300 से भी ज्यादा भारतीय छात्रों को अमेरिका में अपना संस्थान छोड़ने के लिए बाध्य किया गया था। कानून प्र्वतन एजेंसियों द्वारा एक वीजा घोटाले का खुलासा करने के लिए एक नकली विश्वविद्यालय पर कराए गए स्टिंग ऑपरेशन के तहत छात्रों को दाखिला दिया गया था। इस घोटाले में 1,000 से भी ज्यादा विदेशियों को छात्र और कामकाजी वीजा दिया गया था।

स्टिंग ऑपरेशन के तहत भारतीय मूल के कम से कम 10 अमेरिकियों को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें अमेरिकी प्रशासन ने एक नकली विश्वविद्यालय खोला था।

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