अमेरिका से आ रहे पेपर पर रोक क्यों ?,कारोबारियों को दिक्कत

रिपोर्टर : आनंद श्रीवास्तव 

दिल्ली: अमेरिका से आ रहे पेपर पर रोक से भारत के छोटे छोटे कारखाने बन्द होने के कगार पर है ।अमेरिका से आ रहे पेपर पर रोक क्यो है? भारत सरकार ने अमेरिका से आयात किए जाने वाले विभिन्न तरह के पेपर रोल पर रोक लगाई है।

इस रोक से अब भारत के पेपर कारोबारियों को दिक्कत हो रही है, और इन पेपर कारोबारियों को अब अपना कारोबार बंद करना पढ़ रहा है। पर पेपर कारोबारियों का कहना है कि- सरकार उन पेपर कारोबारियों के साथ साथ उन छात्रों के परिवारों पर भी बोझ डाल रही है, क्योंकि अभी अगर परिजन अपने बच्चों को कॉपी दिलाते हैं, तो कोई भी कॉपी 20 रुपये से कम नही पड़ती है।

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अगर अमेरिका के पेपर से कॉपी बनती है तो उस की क़ीमत आज की कीमत से भी कम पड़ेगी तो छात्रों के परिजनों को कम पैसे में कॉपी मिल सकती है। और चाइना के पेपर से सस्ता पेपर है। ये और बढ़िया कुवालटी के साथ और अमेरिका  से आने वाले पेपर पर 11%  शुल्क भी सरकार को मिलता है पर चीन से आने वाले पेपर पर 7%का शुल्क मिलता है।

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वहीं पेपर कारोबारियों की मांग है कि सरकार इस फैंसले को वापस ले ताकि छोटे व्यापारियों को अपना घर चलाने में आसानी हो।ऐसे में सरकार को फायदा भी है और लोगो को पेपर , कॉपी और निरन्तर पेपर भी सस्ता भी है पर सरकार ने अमेरिका के पेपर पर रोक लगा कर पेपर कारोबार को बंद करने की कोशिश को हम कामयाब नहीं होने देंगे।

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स्मॉल स्केल पेपर कनवर्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कारोबारीयो ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि वे तुगलकी फरमान का पुरज़ोर विरोध करते है और इनके सदस्य और सभी कारोबारी इसके खिलाफ धरना भी देगे अगर सरकार हमारी मागों को नही मानेगी ।इस सम्बन्ध में भारत के पेपर कारोबारियों ने दिल्ली के कॉन्टेसनल क्लब में प्रेस वार्ता की और केन्द्र सरकार को इस प्रेस वार्ता के माध्यम से जगाने की कोशिस की ।

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