अमेरिका बनाएगा भारत के साथ मिलकर ड्रोन , पेंटागन का बड़ा बयान

नई दिल्ली : अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को लेकर बड़ा बयान दिया है।

भारत

 

जहां उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग के लिए विमान रखरखाव के साथ मानवरहित हवाई यान (ड्रोन) और हल्के हथियार प्रौद्योगिकी परियोजना में सह-विकास की परियोजना बनाई हैं। लेकिन अमेरिका में हुई एक बैठक में भारतीय रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव अजय कुमार ने भी हिस्सा लिया।

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बता दें की दोनों देशों के रक्षा अधिकारियों का यह बयान वाशिंगटन में नवीनतम दौर की रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) वार्ता के दौरान आया है।

जहां भारत-यूएस DTTI बैठक में सारा ध्यान अमेरिका और भारतीय उद्योग को एक साथ काम करने और अगली पीढ़ी की तकनीकों को विकसित करने पर केंद्रित रहा हैं।

देखा जाये तो USD (A&S) ने पेंटागन में शुक्रवार को मीडिया राउंडटेबल से बात करते हुए कहा है की हम जिस एक परियोजना को देख रहे हैं, वह छोटे वायु प्रक्षेपण यान यानि ड्रोन की है और साथ ही रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव अजय कुमार के साथ बैठक की सह-अध्यक्षता कर रहे लॉर्ड ने कहा कि टीमों के पास विशिष्ट तारीखों पर बहुत डिलिवरेबल्स हैं, जिनकी जिम्मेदारी प्रमुख व्यक्तियों के पास है।

लॉर्ड ने कहा, है की कुल मिलाकर, हम इसे एक कुशल, लागत प्रभावी तरीके के रूप में देखते हैं, जोकि युद्ध के लिए अतिरिक्त क्षमता प्रदान करता है।

उन्होंने कहा, इससे तीन प्रस्तावित मिशन परिदृश्य, मानवीय सहायता-आपदा राहत, सीमा पार संचालन और गुफा सुरंग के निरीक्षण में भी सहायता मिलेगी।यह चर्चाएं मुख्य रूप से अमेरिकी वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के बीच हैं।

अप्रैल में, दोनों पक्ष तकनीकी नियोजन दस्तावेज पर दस्तखत करेंगे।USD (A&S) ने पेंटागन में शुक्रवार को मीडिया राउंडटेबल से बात करते हुए कहा, ‘हम जिस एक परियोजना को देख रहे हैं, वह छोटे वायु प्रक्षेपण यान यानि ड्रोन की है।

दरअसल रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव अजय कुमार के साथ बैठक की सह-अध्यक्षता कर रहे लॉर्ड ने कहा कि टीमों के पास विशिष्ट तारीखों पर बहुत डिलिवरेबल्स हैं, जिनकी जिम्मेदारी प्रमुख व्यक्तियों के पास है।

लॉर्ड ने कहा, ‘कुल मिलाकर, हम इसे एक कुशल, लागत प्रभावी तरीके के रूप में देखते हैं, जोकि युद्ध के लिए अतिरिक्त क्षमता प्रदान करता है।उन्होंने कहा, इससे तीन प्रस्तावित मिशन परिदृश्य, मानवीय सहायता-आपदा राहत, सीमा पार संचालन और गुफा सुरंग के निरीक्षण में भी सहायता मिलेगी।

वही यह चर्चाए है की मुख्य रूप से अमेरिकी वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के बीच हैं। अप्रैल में, दोनों पक्ष तकनीकी नियोजन दस्तावेज पर दस्तखत करेंगे।

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