अमृतसर घोषणा में लश्कर, जैश शांति के लिए खतरा

अमृतसर घोषणाअमृतसर| अफगानिस्तान पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यहां रविवार को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद समेत पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति के लिए गंभीर खतरा बताया गया है। पाकिस्तान सीमा से सटे भारत में पंजाब के इस शहर में अफगानिस्तान पर छठे हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रक्रिया सम्मेलन में अमृतसर घोषणा के रूप में प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई, जिसमें क्षेत्र में खास तौर पर अफगानिस्तान में सुरक्षा की गंभीर स्थिति पर चिंता जताई गई है।

अमृतसर घोषणा

घोषणा पत्र में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने वाले अन्य आतंकी संगठनों में तालिबान, दएश (इस्लामिक स्टेट) और उसके अनुषंगी संगठन, हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और अन्य विदेशी आतंकी संगठन शामिल हैं।

क्षेत्र में आतंकवाद को मिल रहे समर्थन को स्वीकार करते हुए संयुक्त घोषणा पत्र में सभी तरह के आतंकवाद को तुरंत खत्म करने के साथ-साथ आतंकवाद के वित्तीयन समेत सभी तरह के समर्थन बंद करने की मांग की गई।

विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के अस्वस्थ होने के कारण वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने घोषणा का उल्लेख करते हुए कहा, “आतंकवाद की समाप्ति सुनिश्चित करने के लिए हम मजबूती से क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की मांग करते हैं, जिसमें हार्ट ऑफ एशिया क्षेत्र में आतंक के स्वर्ग को खत्म करने के साथ-साथ आतंकवाद के लिए वित्तीय, सामरिक और सभी तरह के तार्किक समर्थन को बाधित करना शामिल हैं।”

पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों का उल्लेख भारत की उसके पश्चिमी पड़ोसी पर एक कूटनीतिक जीत है, जो दशकों से आतंकवाद को विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने का दोषी है।

गत अक्टूबर महीने में ब्रिक्स सम्मेलन के गोवा घोषणा पत्र में लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के नामों को शामिल कराने के भारतीय प्रयासों में चीन ने कथित रूप से पलीता लगा दिया था।

नई दिल्ली आरोप लगाता है कि लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तान सरकार से वित्तीय और तार्किक समर्थन हासिल है और भारत में शांति भंग करने के लिए उसकी एजेंसियां एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल हो रही हैं। लेकिन पाकिस्तान इसे सिरे से खारिज करता है।

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